Exclusive Interview Bhupinder Hooda: हरियाणा विधानसभा चुनाव (2024) में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जबकि माना जा रहा था कि वह एक दशक से सत्ता में रही भाजपा को मात दे देगी,लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भाजपा ने राज्य की 90 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी की चुनावी हार, पार्टी की वर्तमान स्थिति और नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा बाढ़ से निपटने सहित कई मुद्दों पर बात की। आइए जानते हैं उन्होंने इन सभी मुद्दों पर क्या-कुछ कहा।
2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आपकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। क्या ग़लती हुई थी? इस सवाल के जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर आप वोट शेयर को देखें, तो भाजपा (39.94%) और कांग्रेस (39.09%) दोनों लगभग बराबरी पर थे। मुश्किल से आधा प्रतिशत का अंतर था। लेकिन अगर आप पिछले पांच विधानसभा चुनावों के रुझानों की जांच करें, तो डाक मतपत्रों में आगे रहने वाली पार्टी ने सरकार बनाई। 2024 में, हम 90 में से 76 निर्वाचन क्षेत्रों में डाक मतपत्रों की गिनती में आगे थे। फिर भी, जब ईवीएम के वोटों की गिनती हुई तो हम अंतिम लड़ाई हार गए। इसके कई कारण हैं, जिसमें राहुल गांधी द्वारा उठाया गया वोट चोरी का मुद्दा भी शामिल है, जो संभावित अनियमितताओं की ओर इशारा करता है। हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है। राशन कार्डों पर विचार करें: 2020-21 में, सामाजिक कल्याण योजनाओं के 52 लाख लाभार्थियों के लिए लगभग 11 लाख कार्ड थे। चुनावों से ठीक पहले,यह संख्या बढ़कर 52 लाख कार्ड हो गई, जिससे 2.13 करोड़ लोग लाभान्वित हुए।
आप भविष्य के चुनावों में इन मुद्दों को कैसे संबोधित करने की योजना बना रहे हैं? हुड्डा कहते हैं कि 2019 और 2024 के विधानसभा चुनावों के बीच, हमने अपना वोट शेयर 12% बढ़ाया। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जनता की भावना हमारे पक्ष में थी।
कांग्रेस ने हाल ही में पूरे हरियाणा में ज़िला समितियों (डीसीसी) के अध्यक्षों की नियुक्ति की है, जिनमें से कई गैर-जाट समुदायों से हैं। क्या यह एक रणनीतिक कदम था? इस सवाल पर कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि कांग्रेस सबकी पार्टी है- गरीबों, मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों की। हमने सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया है। चाहे वे बड़े हों या फिर छोटे।
2024 के चुनावों को लगभग एक साल हो गया है, फिर भी कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता (LoP) नियुक्त नहीं किया है। इस देरी का क्या कारण है? हुड्डा ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल (गांधी) जी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य में विपक्ष के नेता की नियुक्ति ज़िला समिति अध्यक्षों और प्रदेश समिति (पीसीसी) पदाधिकारियों के चयन के बाद होगी। जहां तक विधायकों का सवाल है, उन्होंने पहले ही एक प्रस्ताव पारित कर दिया है और फ़ैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है। हमारी पार्टी एक परिवार की तरह काम करती है। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमारे मन एक हैं।
हाल ही में हरियाणा में आई बाढ़ के बारे में आपका क्या आकलन है? इस सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुनानगर में, यह स्पष्ट था कि बाढ़ प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित थी। यमुना नदी ने अपना मार्ग बदल दिया। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर ध्यान दिया है। महम में, मैंने नालों की सफाई न होने के कारण उनमें कीकर के पेड़ उगते देखे। शहरी क्षेत्रों में सीवेज प्रणालियों का रखरखाव नहीं किया गया था। हरियाणा के 5,000 से ज़्यादा गाँव और 11 शहर बाढ़ या जलभराव से प्रभावित हुए।
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बाढ़ से निपटने के सरकारी तरीके के बारे में आपकी क्या राय है? इस सवाल पर हुड्डा ने कहा कि 1995 में जब हरियाणा में बाढ़ आई थी,तो सरकार ने तुरंत फसल के नुकसान का आकलन किया और नकद मुआवजा प्रदान किया था। न केवल किसानों को बल्कि दुकानदारों और गरीबों को भी। आज,भाजपा सरकार ग्रामीणों से अपने नुकसान को एक वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहती है। मुझे यह बेतुका लगता है। जब किसान फसल अवशेष जलाते हैं, तो अधिकारी दावा करते हैं कि उपग्रह धुएं का पता लगा लेते हैं। यदि उपग्रह धुएं को पकड़ सकते हैं, तो वे बाढ़ के पानी का पता क्यों नहीं लगा सकते? यह स्पष्ट है कि सरकार राहत में देरी करना चाहती है। प्रस्तावित मुआवजा- 7,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति एकड़ अपर्याप्त है। यह उर्वरक की लागत को कवर करने के लिए मुश्किल से पर्याप्त है। इसके अलावा, बीमा कंपनियां जलभराव के कारण फसल के नुकसान की भरपाई नहीं करती हैं। ये कंपनियां लाभ-प्रेरित हैं: वे उच्च प्रीमियम एकत्र करती हैं और बहुत कम भुगतान करती हैं। कांग्रेस पहले ही संकल्प ले चुकी है कि अगर सत्ता में आई तो फसल बीमा का काम एलआईसी जैसी सरकारी कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
2027 के चुनावों से पहले सीएम सैनी के पंजाब के लगातार दौरों को आप कैसे देखते हैं? पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में उपलब्धियों के नाम पर उनके (सैनी) पास बताने को कुछ नहीं है, इसीलिए वो पंजाब की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन वहां वो क्या कहेंगे? क्या वो हरियाणा के हिस्से का पानी मांगेंगे? वो पंजाब से एसवाईएल नहर की खुदाई के बारे में क्यों नहीं पूछ रहे? नहर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?
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