Exclusive Interview: योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद इस वक्त काफी चर्चा में हैं। क्योंकि अभी हाल ही में यूपी भाजपा के पिछड़े वर्ग के सहयोगी दलों ने दिल्ली में बैठक की थी। बैठक में रालोद, सुभासपा और अपना दल (एस) मौजूद थे। हालांकि, बीजेपी का कोई नेता इस बैठक में मौजूद नहीं था। जिसके बाद यूपी की राजनीति में इसको लेकर काफी चर्चा हुई। ऐसे में संजय निषाद ने इंडियन एक्सप्रेस से बात की है। जिसमें उन्होंने एनडीए सहयोगियों और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 समेत कई मुद्दों पर बातचीत की है। आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंश।
संजय निषाद से जब पूछा गया कि आपने हाल ही में भाजपा को चेतावनी दी थी कि या तो वह उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों पर भरोसा करे या फिर नाता तोड़ ले। आपके दिल्ली कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के सभी एनडीए सहयोगी जुटे थे, लेकिन भाजपा का कोई नेता वहां मौजूद नहीं था। क्या एनडीए सहयोगियों को कोई दिक्कत हैं? इस सवाल के जबाव में संजय निषाद ने कहा कि दिल्ली का कार्यक्रम हमारी पार्टी का कार्यक्रम था और हमने भाजपा समेत एनडीए के सभी सहयोगियों को आमंत्रित किया था। संयोग से भाजपा का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं हो सका, लेकिन यह एक ऐसा कार्यक्रम बन गया जिसमें वास्तविक पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाले लोग शामिल हुए।
हालांकि, हमारा हमला विपक्ष पर सिर्फ़ उनके फर्जी पीडीए वाले आह्वान के लिए था। किसी को भी दिल्ली में हमारे लिए इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। हम लोग विपक्ष के फर्जी पीडीए के खिलाफ हैं और इसके लिए चट्टान की तरह खड़े रहेंगे।
निषाद ने कहा कि भाजपा में कुछ लोगों को शायद आशंका रही होगी कि मंच से लोग कुछ असहज बातें कह देंगे, लेकिन सभी ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए और पीडीए के मूल्यों के लिए आवाज़ उठाई, चाहे वो हम हों, (अपना दल-एस नेता) आशीष (पटेल) जी हों , (सुभासपा नेता ओम प्रकाश) राजभर जी हों या फिर रालोद के नेता। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे अगले कार्यक्रम में भाजपा का उचित प्रतिनिधित्व होगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सम्मेलन के माध्यम से एनडीए के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव (यूपी में) में विपक्ष की जीत और पीडीए पर जनता को गुमराह करने के बावजूद, हमने कम संसाधनों के साथ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम तक अपनी पीडीए की आवाद बुलंद की। और हम सहयोगी दल विपक्ष के नकली पीडीए के खिलाफ खड़े थे ताकि यह दिखाया जा सके कि वास्तविक पीडीए एनडीए के साथ है, भाजपा के भीतर कुछ नेता थे जो अपने ही सहयोगियों के खिलाफ बोल रहे थे… इसलिए दर्द आना स्वाभाविक है।
संजय निषाद से जब पूछा गया कि आपने दिल्ली के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को आमंत्रित नहीं किया, और फिर बाद में उनके गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र में आपने भाजपा से कहा कि या तो सहयोगियों पर भरोसा करें या फिर संबंध तोड़ लें। ऐसी स्थिति क्यों आई? इस सवाल के जबाव में योगी सरकार में मंत्री निषाद ने कहा कि दिल्ली के कार्यक्रम से पहले मैं महाराज (आदित्यनाथ) से मिला था। वे पहले भी हमारे कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं, चूँकि कार्यक्रम दिल्ली में था, इसलिए सोचा गया था कि दिल्ली के भाजपा नेताओं, जैसे अमित शाह जी और अन्य को भी बुलाया जाए, लेकिन संयोग से उनके कुछ और कार्यक्रम थे।
निषाद ने कहा कि जहां तक मैंने गोरखपुर में जो कहा था, उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। सहयोगियों के खिलाफ जो कुछ भी हो रहा है, वह कुछ बाहरी लोगों का नतीजा है, मैं उन्हें भाजपा के भीतर ‘घुसपैठिया नेता’ कहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे मामले में इनमें से कुछ छुटभैया नेता गोरखपुर में हमारा झंडा उतार फेंकते या जनता से कहते देखे गए कि मेरा परिवार समुदाय के लिए आरक्षण की दिशा में काम करने के बजाय मलाई खा रहा है। यह सब न केवल हमारे लिए, बल्कि एनडीए के लिए भी नुकसानदेह था।
एनडीए सहयोगियों के मुद्दे उठाने से पहले, आपने भाजपा की प्रशंसा की और उसका समर्थन किया। क्या बदलाव आया? इस सवाल के जबाव में संजय निषाद ने कहा कि भाजपा इतनी बड़ी पार्टी है, इतना छोटा काम नहीं करेगी । यह सब बाहर से आए नेताओं की वजह से है, जो घुसपैठिए हैं। उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों में हार इन्हीं नेताओं और उनके बयानों की वजह से हुई। कुछ जगहें ऐसी भी थीं जहाँ भाजपा उन बूथों पर हारी जिन्हें दशकों से गढ़ माना जाता था।
संजय निषाद ने कहा कि उन्हें (भाजपा को) यह समझना होगा कि हम सहयोगी भाजपा के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं , एक जाति या समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिस्पर्धी नहीं हो सकते। निषाद ने कहा कि मैंने इन छोटे नेताओं की समस्या भाजपा के सामने उठाई थी, लेकिन ये नेता हमारे बारे में बुरा-भला कहते रहे। मैंने न तो योगी जी के बारे में और न ही मोदी जी के बारे में कभी बुरा कहा। जब आदित्यनाथ ने मुझे लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर बुलाया , तो मैं वहाँ गया। उन्होंने मुझसे पूछा कि ये नेता कौन हैं और मुझे आश्वासन दिया कि वे जल्द ही एक बैठक आयोजित करेंगे।
जैसे-जैसे 2027 के विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, एनडीए के भीतर मतभेद बढ़ रहे हैं। क्या सहयोगी दलों को लगता है कि अगले चुनाव से पहले ये मुद्दे सुलझ जाएँगे? इस सवाल के जबाव में संजय निषाद ने कहा कि यूपी में एनडीए के सहयोगियों को अभी एक समन्वयकर्ता की ज़रूरत है। यह एक व्यक्ति या एक से ज़्यादा व्यक्ति हो सकते हैं। हम हर बार छोटी-छोटी समस्याओं के लिए योगी जी या अमित शाह जी के पास नहीं जा सकते। इस समन्वय के लिए एक बैठक हो सकती है।
संजय निषाद ने कहा कि ऐसी बैठकें पहले 2024 के लोकसभा चुनावों तक दिल्ली में होती थीं, जब हमें बुलाया जाता था, लेकिन अब नहीं। अपना दल-एस प्रमुख अनुप्रिया (पटेल जी या रालोद प्रमुख जयंत चौधरी जी जैसे लोग , जो दिल्ली में हैं, उनके पास विकल्प हैं, लेकिन मेरे या राजभर जी जैसे लोगों के पास विकल्प नहीं हैं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि उत्तर प्रदेश में एक समन्वयक होना चाहिए, जिससे सहयोगी दल छोटी-छोटी समस्याओं के लिए संपर्क कर सकें। निषाद ने कहा कि हम बस राज्य स्तरीय बैठकें चाहते हैं जहाँ गठबंधन के साथी बैठकर चर्चा कर सकें। मुझे अपनी बिरादरी का सम्मान चाहिए। सबको समझना होगा कि 2027 का यूपी चुनाव संवैधानिक अधिकारों पर लड़ा जाएगा।
आपको क्यों लगता है कि 2027 के चुनावों में संवैधानिक अधिकार एक मुद्दा होगा? इस सवाल पर निषाद ने कहा कि हम संविधान की लड़ाई के नाम पर उत्तर प्रदेश में 2024 का लोकसभा चुनाव हार गए। अयोध्या जैसे कुछ नेताओं के गलत बयानों ने इन भावनाओं को भड़काया। उत्तर प्रदेश में अगला चुनाव संवैधानिक अधिकारों के नाम पर होगा और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।
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संजय निषाद ने कहा कि देश संविधान से चलेगा…सिर्फ भगवान से तो चलेगा नहीं। हम धार्मिक हैं, पर संवैधानिक अधिकार अलग मुद्दा है। निषाद ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उनका हिस्सा (आरक्षण में) मिल गया… और अब सबसे पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) भी अपने संवैधानिक अधिकार चाहते हैं और अगले चुनावों में यह मुख्य मुद्दा होगा।
निषाद ने कहा कि इसके अलावा, ऊंची जातियों को 10% आरक्षण दिए जाने के बाद अति पिछड़े वर्गों में बार-बार यह संदेश जा रहा है कि अपना तो ध्यान रखा, हमारा नहीं। जहां अति पिछड़े वर्ग के बच्चे, वंचित होने के बावजूद, अपनी फीस भर रहे हैं, वहीं अनुसूचित जातियों को न केवल मुफ़्त में फीस भरने से छूट मिल रही है, बल्कि उन्हें छात्रवृत्ति भी मिल रही है।
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