हालिया लोकसभा चुनावों में कश्मीर डिवीजन से भाजपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। लेकिन इसके बावजूद भाजपा नतीजों के लेकर उत्साहित है। दरअसल कश्मीर में तीन सीटों पर हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की, लेकिन इन सीटों पर भाजपा का वोट शेयर बढ़ा है। ऐसे में भाजपा इसे आगामी विधानसभा चुनावों में अपने लिए उम्मीद के तौर पर देख रही है। लोकसभा चुनावों में राज्य की 87 विधानसभा सीटों में भाजपा को 28 सीटों पर बढ़त मिली है। अनंतनाग संसदीय सीट पर लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया और यहां सिर्फ 1,019 या कहें कि 1.14 प्रतिशत वोट पड़े। इन वोटों में से त्राल विधानसभा सीट पर भाजपा को सबसे ज्यादा 323 वोट मिले, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस को 234 वोट मिले। बता दें कि त्राल में कश्मीरी पंडित मतदाता अच्छी खासी तादाद में हैं।

भाजपा की ये है योजनाः गौरतलब बात है कि कश्मीर घाटी में तीन लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में कश्मीरी पंडितों को कुल 13,537 वोट पड़े। इनमें से 11,648 वोट अकेले भाजपा को मिले। कश्मीरी पंडितों के इस समर्थन से भाजपा खासी उत्साहित है। यही वजह है कि पार्टी कश्मीरी पंडितों के लिए ‘M Form’ की बाध्यता को भी खत्म करने पर विचार कर रही है। दरअसल कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों को घाटी में वोट देने के लिए अपने आप को मतदाता सूची में रजिस्टर कराना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए कश्मीरी पंडितों को एक M Form भरना होता है, जिसे जोनल अधिकारी से सत्यापित कराकर चुनाव आयोग के स्थानीय कार्यालय में जमा कराना होता है। कई लोगों की शिकायतें हैं कि पूरी प्रक्रिया करने के बाद भी उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं था। ऐसे में भाजपा कश्मीरी पंडितों को ज्यादा से ज्यादा वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए M Form की बाध्यता को ही खत्म करने पर विचार कर रही है।

इसके अलावा भाजपा जम्मू कश्मीर के पीओके के लिए आरक्षित 24 सीटों में से 8 सीटों के लिए चुनाव कराने पर विचार कर रही है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा की 11 सीटें हैं। जिनमें से फिलहाल 87 सीटों पर चुनाव कराए जाते हैं। बाकी की 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित रखी गई हैं। पीओके से पलायन कर भारत आने वाले लोगों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था SOS इंटरनेशनल के चेयरमैन राजीव चुन्नी का कहना है कि साल 1947 से अब तक पीओके से करीब 3 लाख लोग पलायन कर भारत आए हैं। जिनकी संख्या अब बढ़कर करीब 12-13 लाख हो गई है। जो कि पीओके की कुल जनसंख्या का एक तिहाई मानी जा रही है।

ऐसे में भाजपा की कोशिश है कि पीओके से पलायन कर भारत आए इन लोगों को मतदान का अधिकार दिया जाए और पीओके की आरक्षित 24 सीटों में से एक तिहाई 8 सीटों का प्रतिनिधित्व इन लोगों को दिया जाएं, ताकि इन लोगों को भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व मिल सके। अब भाजपा के लिए इसमें फायदे की बात ये है कि राज्य की 87 सीटों में से 46 कश्मीर डिवीजन में हैं और 37 जम्मू और 4 लद्दाख डिवीजन में हैं। जम्मू और लद्दाख पर भाजपा की अच्छी खासी पकड़ है। ऐसे में यदि भाजपा पीओके से पलायन करने वाले लोगों को अपने पक्ष में लाने में सफल रहती है तो पार्टी जम्मू कश्मीर में बहुमत के आंकड़े को पा सकती है।

भाजपा के एक नेता का कहना है कि नतीजे बेहद ही उत्साहजनक हैं। म्यूनिसिपल और पंचायत चुनाव भी हमारे पक्ष में रहे और अब लोकसभा चुनावों में भी हमें उम्मीद मिली है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वह कश्मीर घाटी में पार्टी की स्थिति मजबूत करने की उम्मीद है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो अगले विधानसभा चुनावों में हम कश्मीर से भी कुछ विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं।