विजयी निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा हरियाणा से राज्य सभा के लिए चुनाव पर उत्पन्न विवाद की जांच कर रहे चुनाव आयोग के सामने आज पेश हुए जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी आर के आनंद ने दावा किया कि मतदान से पहले निर्वाचन अधिकारी और चंद्रा के चुनाव एजेंट के बीच टेलीफोन पर कई बार बातचीत हुई थी।
चंद्रा ने कहा कि उनके विरोधियों ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के एक विधायक ने कलम बदल दी , फलस्वरूप कांग्रेस विधायकों के वोट इस आधार पर खारिज हो गए कि 12 वोट अलग कलम से चिह्नित किए गए थे।
तीन घंटे तक चली जांच कार्यवाही के बाद चंद्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मैंने चुनाव अधिकारी (हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी जिन्होंने दोनों पक्षों की बातें सुनीं) के सामने 31 मई से 10 जून के बीच की कई मीडिया रिपोर्ट दिखायी जो स्पष्ट रूप से स्थापित करती हैं कि कांग्रेस के 17 विधायकों (जनहित कांग्रेस के दो विधायकों समेत) में से 15 तो मेरे विरोधी (आनंद) के पक्ष में वोट डालना नहीं चाहते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उसके बाद भी कांग्रेस द्वारा विधायकों से आनंद के पक्ष में वोट डालने के लिए कहते हुए व्हिप जारी किया गया जो अवैध था। जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत राष्ट्रपति और राज्यसभा के चुनाव में ऐसे व्हिप जारी करना अवैध है। हमने इस संबंध में चुनाव आयोग से शिकायत की कि पार्टी और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। चुनाव आयोग के परिपत्र के मुताबिक ऐसा व्हिप जारी करना भादंसं की धारा 171 सी के तहत दंडनीय है। ’’
चंद्रा ने दावा किया कि आनंद और कांग्रेस नेताओं ने यह कहते हुए घटनाक्रम की ओर संकेत किया कि खास वोट रद्द किए गए जो गोपनीयता का उल्लंघन है और हमने मांग की है कि इस संबंध में कार्रवाई की जाए। इस बीच विपक्षी इनेलोद और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आनंद ने चुनाव आयोग से पूरे मामले की गहराई में जाने का अनुरोध किया और कहा कि राज्यसभा चुनाव के निर्वाचन अधिकारी और चंद्रा के चुनाव एजेंट वी के मोहन के बीच फोन पर 26 बार बातचीत हुई।
आंनद ने आरोप लगाया, ‘‘देर शाम को भी फोन पर बातचीत हुई। पांच, सात और 10 जून समेत कई तिथियों को फोनकॉल किए गए, चंद्रा विधानसभा सचिवालय आए और निर्वाचन अधिकारी से मिले।’’ इस आरोप पर चंद्रा ने कहा, ‘‘यदि मेरे विरोधी ने मुझसे कहा होता तो मैं उन्हें कॉल रिकार्ड उपलब्ध करवा देता। लेकिन मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम कोरपोरेट घराने है, एक कारोबारी घराने हैं। मैंने श्री मोहन को अपने चुनाव का प्रभार सौंपा। वह पेश से वकील हैं। वह यह सोचकर छोटी छोटी बातों को लेकर सजग थे कि वह बड़ा चुनाव संभाल रहे हैं। वह निर्वाचन अधिकारी को फोन कर रहे थे और उनसे मार्गदर्शन ले रहे थे। ’’
चंद्रा ने कहा, ‘‘मैंने भी तीन-चार बार निर्वाचन अधिकारी से बाचतीत की। उसमें गलत क्या है? हमारे विरोधी ने आरोप लगाया है कि मैं 10 जून को विधानसभा में था और उस पेन की फोटो खींची जिससे वोट डाला जाना था। मैं कहना चाहता हूं कि मैं उस तारीख को कभी विधानसभा गया ही नहीं ओर यह पूरी तरह बेबुनियाद है।’’ निर्वाचन अधिकारी और हरियाणा विधानसभा के सचिव आर के नंदाल ने कहा कि उन्हें याद नहीं किया कि मोहन ने उन्हें कितनी बार फोन किया।