Kapil Sibal in Jharkhand High Court: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झामुमो नेता की गिरफ्तारी पूरी तरह से दुर्भानापूर्ण है। यह बात मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कही।

हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह शेड्यूल ऑफेंस का केस नहीं है। हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता। जिस साढ़े आठ एकड़ की विवादित जमीन को लेकर हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उसके किसी भी दस्तावेज में उनका नाम है ही नहीं। कुछ लोगों ने कह दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है और इसी पर विश्वास करते हुए ईडी जांच कर रही है।

इस केस में सोरेन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। ईडी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन की यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। इसमें उनके खिलाफ शेड्यूल ऑफेंस का मामला बनता है और ईडी ने उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए हैं। जमीन घोटाले के इस मामले में रांची के बड़गाईं अंचल के उप निरीक्षक भानु प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जो कि हेमंत सोरेन का भरोसेमंद सहयोगी है।

एक्टिंग चीफ जस्टिस चन्द्रशेखर और जस्टिस अरुण कुमार राय की पीठ सोरेन की रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अपनी गिरफ्तारी को “अनुचित”, “अवैध” और “अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन” बताते हुए चुनौती दी है। पूर्व सीएम ने आगे प्रार्थना की है कि गिरफ्तारी के बाद उनकी रिमांड भी “मनमानी और अवैध” है। पीठ इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को करेगी।

मामले की जड़ रांची में सेना की जमीन की अवैध बिक्री और खरीद है जिसमें झारखंड कैडर-आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी आरोपी हैं। सेना की 4.55 एकड़ भूमि की जांच में ईडी को बारागैन सर्कल कार्यालय के राजस्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद तक पहुंचाया गया, जो कथित तौर पर भूमि रिकॉर्ड में हेराफेरी करने वाले एक सिंडिकेट का हिस्सा है। प्रसाद के पास से कई मूल रजिस्टर पाए गए जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

ईडी ने कहा कि भानु के फोन का डेटा निकाला गया जिसमें नकद लेनदेन, जमीन हासिल करने में दूसरों को अवैध लाभ पहुंचाने से संबंधित कई चैट की पहचान की गई। एजेंसी ने हस्तलिखित नोटों की “एक छवि” पर जोर दिया जिसमें भूमि पार्सल की एक सूची थी जो “अवैध रूप से अधिग्रहित और सोरेन के कब्जे में” थी। ईडी के अनुसार, सीएमओ के निर्देश पर प्रसाद द्वारा बरगैन क्षेत्र में कुल 8.5 एकड़ क्षेत्र के भूमि पार्सल का सत्यापन किया गया था। एजेंसी ने कहा कि उसी क्षेत्र के पीएमएलए के तहत उसके सर्वेक्षण से भी पुष्टि हुई कि सोरेन के पास जमीन पर अवैध कब्जा था।

ईडी ने कहा, “इस प्रकार…हेमंत सोरेन सीधे तौर पर अधिग्रहण, कब्जे और अपराध की आय के उपयोग से जुड़ी प्रक्रिया में शामिल हैं…(और) जानबूझकर भानु प्रताप प्रसाद के साथ एक पक्ष हैं।” और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी है।” कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि किसी भी अधिकारी को यह निष्कर्ष निकालने के लिए कि कोई व्यक्ति पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है, पर्याप्त रूप से “मजबूत निर्विवाद सामग्री” उपलब्ध होनी चाहिए, जिसके बाद एक अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि वह व्यक्ति दोषी है।