जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग के लिए शनिवार को मानो समूचा जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में उमड़ गया। उनका साथ देने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया और आंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों, पूर्व छात्रों व शिक्षकों के अलावा जनता दल (एकी) का छात्र संगठन भी शरीक था।
उन्होंने कहा कि युवा शक्ति चीजों को इस तरह गिरने नहीं देगी। वक्ताओं ने कहा कि वे कन्हैया के साथ खड़े हैं और उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं। कन्हैया के रिहाई पर दबाव बनाने वाले लोगों में कई कन्हैया कुमार की तस्वीर वाली प्रिंटेड टी-शर्ट पहने हुए थे। वे दलील दे रहे थे कि कन्हैया के साथ जो किया गया है और जिस तरह से पुलिस ने विश्वविद्यालय में कार्रवाई की है, वह स्वीकार नहीं किया जा सकती।
दोपहर एक बजे कला संकाय से शुरू होकर छात्र शिक्षकों की यह रैली, खुले सत्र में बदल गई।
इसमें एनएसयूआइ, एआइएसबी समेत आइसा, एसएफआइ व एआइएसएफ जैसे तमाम वामपंथी छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया। अहम बात यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (डूटा) को इस मार्च का समर्थन मिला है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और जवाहर लाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जनेटा) के शिक्षक भी इसमें शामिल हुए। आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे ने मांग की कि कन्हैया को तुरंत रिहा करना चाहिए। लड़ाई केवल जेएनयू की नहीं बल्कि देशभर के छात्रों के हितों की है।
आइसा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज ने कहा कि इस घटना के असली गुनाहगार तक पहुंचे पुलिस। उन्होंने दावा किया कि यह भगवा साजिश है। उन्होंने कहा कि वीडियो को ध्यान से देखने की जरूरत है। इसमें साफ है कि नारे दूर से लगाए जा रहे प्रतीत हो रहे हैं। वे कौन हैं जिनके चेहरे वीडियो में नहीं हैं। लेकिन आवाज कैद है?
छात्र जनता दल (एकी) के अध्यक्ष डॉक्टर प्रत्युश नंदन ने कहा -हम इस मुश्किल वक्त में जेएनयू के साथ खड़े हैं और हम कन्हैया के साथ खड़े हैं, जिन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। यह सब तो प्रतिरोध की आवाजों को दबाने के लिए औपनिवेशिक काल में होता है। एक सवाल के जवाब में डॉक्टर नंदन ने कहा, ‘सरकार इस मुद्दे से ठीक से नहीं निपट सकी। विश्वविद्यालय की स्वायत्तता का भी मखौल उड़ा’। राजद के प्रवक्ता प्रोफेसर मनोज झा और दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षिका आभा हबीब देव ने भी बात रखी।
मनोज झा ने कहा कि भाजपा-संघ देश में राष्ट्रवाद का नई परिभाषा गढ़ रहा है। आभा देव ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्याल या जेएनयू भगवा परिसर नहीं हैं। विरोध का अधिकार हर वर्ग के छात्रों को बराबर है। एआइएसएफ के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जेएनयू की यह छवि फैलाना कि कैंपस आतंकवादी पैदा करता है, शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि वे इसे चुनौती के रूप में ले रहे हैं और अगर सरकार का यही रुख रहा तो आंदोलन देश भर में फैलेगा।