दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव की घोषणा के साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में भारी घमासान मच गया है। खासकर एक लाख रुपए का बांड भरने की अनिवार्यता के खिलाफ सभी प्रमुख छात्र संगठनों ने मिलकर इसका विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ, वामपंथी छात्र संगठन आइसा और एसएफआइ, दक्षिणपंथी छात्र संगठन एबीवीपी, और आम आदमी पार्टी (AAP) की छात्र इकाई एसैप, सभी एकजुट होकर डीयू प्रशासन के इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
डीयू प्रशासन ने सार्वजनिक संपत्ति के विरूपण को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान उम्मीदवारों से एक लाख रुपए का बांड भरवाना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, यदि किसी उम्मीदवार के नाम से दूसरे उम्मीदवार ने पोस्टर लगाए तो उसे 25 हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा।
पिछले चुनाव में इस मुद्दे पर अदालत में डीयू प्रशासन को देना पड़ा था जवाब
डीयू के कुलसचिव विकास गुप्ता ने कहा कि डीयू प्रशासन की यह पहल अदालती आदेश के परिप्रेक्ष्य में है। पिछले साल के डूसू चुनाव में डीयू प्रशासन को अदालत में जवाब देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य लिंगदोह कमेटी का शत फीसद पालन कराना है। इस फैसले को लेकर एनएसयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि लिंगदोह समिति के तहत चुनावी खर्च की सीमा 5,000 तय की गई थी, ऐसे में एक लाख रुपए की बांड राशि की कोई कानूनी वैधता नहीं है और यह गरीब छात्रों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने जैसा कदम है।
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एबीवीपी के दिल्ली प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने इस फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर डीयू प्रशासन इस आदेश को वापस नहीं लेता, तो हम व्यापक आंदोलन करेंगे। वाम संगठनों ने भी लिंगदोह समिति और न्यायालय के आदेशों के तहत निष्पक्ष रूप से नियमों का पालन करने की बात की है, ताकि सामान्य छात्र चुनाव में भाग ले सकें। आइसा के नेता प्रसेनजीत ने कहा कि डीयू प्रशासन ऐसे फैसले लेकर छात्रों के हितों की अनदेखी कर रहा है।
आम आदमी पार्टी के छात्र विंग एसोसिएशन आफ स्टूडेंट्स फार अल्टरनेटिव पालिटिक्स (एसैप) अध्यक्ष कुलदीप बिधुड़ी ने कहा कि एक लाख का बांड देने का डीयू प्रशासन का आदेश तुगलकी फरमान है, इसे तुरंत वापस होना चाहिए। साथ ही कहा है कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो आप का छात्र संगठन छात्रों के साथ इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा।