Red Corner Notice: पंजाब पुलिस (Punjab Police) अक्सर राज्य में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं और बड़े आपराधिक मामलों में आरोपियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (Red Corner Notice, RCN) जारी करने के लिए इंटरपोल का सहारा लेती है। हालांकि, ज्यादातर समय पर यह उतना सफल साबित नहीं हो सका क्योंकि दूसरे देशों में गिरफ्तार किए जाने के बाद भगोड़ों को भारत में प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया काफी जटिल है।

पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भारत के अनुरोध पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन या इंटरपोल द्वारा जारी किए गए आरसीएन वांछित व्यक्तियों को मुकदमे का सामना करने के लिए राज्य में लाने में काफी हद तक अप्रभावी रहे हैं। हाल का मामला सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस से जुडा है। इस मामले में भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के खिलाफ इस साल एक आरसीएन जारी किया। पंजाब पुलिस का मानना है कि गोल्डी कनाडा में रह रहा है। उस पर जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ मिलकर भोले-भाले युवाओं को फंसाकर और उन्हें पैसे का लालच देकर आतंकी वारदातों को अंजाम देने का भी आरोप है। इंटरपोल ने उसी दिन गैंगस्टर से आतंकवादी बने हरविंदर सिंह रिंडा के खिलाफ भी एक आरसीएन जारी किया, जिसके बारे में पंजाब पुलिस का मानना है कि वह पाकिस्तान में बसा हुआ है।

स्थानीय कानून, अदालतें मायने रखती हैं

एक सहायक महानिरीक्षक (एआईजी) रैंक के अधिकारी ने माना कि आरसीएन और प्रत्यर्पण अनुरोध एक जटिल प्रक्रिया है। द इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया, “एक बार इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है, इसका मतलब है कि सभी अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन जो इंटरपोल के सदस्य हैं, ऐसे व्यक्तियों को उनके संबंधित देशों के कानूनों के अनुसार या तो गिरफ्तार करना या हिरासत में लेने के लिए बाध्य होते हैं।” इसके बाद जिस देश ने आरसीएन की मांग की थी, वह व्यक्ति के प्रत्यर्पण के लिए एक औपचारिक अनुरोध भेजता है। स्थानीय कानूनों के आधार पर, किसी व्यक्ति को उस देश की स्थानीय अदालतों में जाने का अधिकार हो सकता है।

पंजाब पुलिस के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी भगोड़े के खिलाफ जारी किया गया रेड कॉर्नर नोटिस इतना प्रभावी साबित हुआ है। हम कितना भी प्रयास कर लें, स्थानीय कानूनों और दूसरे देश में न्यायपालिका से संबंधित जटिलताओं को देखते हुए यह एक आसान प्रक्रिया नहीं है।”

फरवरी 2016 में पंजाब पुलिस की एक टीम को पुर्तगाल से खाली हाथ लौटना पड़ा था। पुर्तगाल ने कथित खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को ठुकरा दिया था। वह 2009 में आरएसएस नेता रुल्दा सिंह की हत्या की कथित साजिश रचने के लिए वांछित था। ऐसे और भी मामले हैं। पंजाब पुलिस सालों से हांगकांग के भगोड़े रमनजीत सिंह उर्फ रोमी को उसके खिलाफ मुकदमों का सामना करने के लिए लाने की कोशिश कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि रोमी कथित रूप से 2016 के नाभा जेल ब्रेक मामले में मुख्य साजिशकर्ता है। इसके अलावा, राज्य में कई अन्य आपराधिक मामलों में उसकी कथित संलिप्तता है। उसके खिलाफ प्रत्यर्पण/समर्पण की कार्यवाही 2018 में शुरू की गई थी। इंटरपोल के माध्यम से पता चला था कि उसे चोई हंग एस्टेट, कॉव्लून में डकैती के सिलसिले में हांगकांग में गिरफ्तार किया गया है।

प्रत्यर्पण के हाल के सफल मामले

  • नवंबर 2019 में एक अन्य गैंगस्टर सुखप्रीत सिंह बुद्धा को अर्मेनिया से निर्वासन के बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, वह हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) आदि के 15 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल था।
  • पिछले महीने, पुलिस ने कथित खालिस्तानी आतंकवादी कुलविंदरजीत सिंह उर्फ खानपुरिया को थाईलैंड से निर्वासन और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गिरफ्तारी के बाद हिरासत में लिया गया था।
  • लुधियाना की एक अदालत में 2021 में हुए विस्फोट के सिलसिले में मलेशिया से आने पर हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी को हाल ही में एनआईए ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआई) से गिरफ्तार किया था।
  • 8 दिसंबर को, एनआईए ने इंटरपोल के समन्वय में ऑस्ट्रिया के लिंज से प्रत्यर्पण के बाद 2019 तरनतारन विस्फोट मामले के आरोपी बिक्रमजीत सिंह पंजवार को गिरफ्तार कर लिया।