देशभर में हो रही मानसूनी बारिश का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पहाड़ों पर बारिश का असर राजधानी दिल्ली में यमुना नदी में भी दिखाई दे रहा है। यहां यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। गुरुवार की सुबह 7 बजे यमुना का जलस्तर 204.79 मीटर तक बढ़ गया। इसके साथ ही जलस्तर यमुना के खतरे के निशान 204.50 मीटर को भी पार कर गया। ये जलस्तर अब तक इस वर्ष का सर्वाधिक है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई को अधिकारियों ने बताया कि सुबह आठ बजे पुराने रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर 204.88 मीटर था। शहर के लिए चेतावनी का निशान 204.5 मीटर पर है, जबकि खतरे का निशान 205.3 मीटर है और निकासी 206 मीटर पर शुरू होती है।
उन्होंने बताया कि पुराना रेलवे पुल नदी के प्रवाह और संभावित बाढ़ के खतरों पर नजर रखने के लिए एक प्रमुख ऑब्जर्वेशन पॉइंट के रूप में काम करता है। एक अधिकारी ने कहा, “जल स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण हथिनीकुंड बैराज से हर घंटे बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जाना है।”
इस मानसून में पहली बार, हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से 50,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया और यह सुबह करीब छह बजे 61,000 क्यूसेक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। बैराज से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में आमतौर पर 48 से 50 घंटे लगते हैं।
यूपी के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात
मानसून की वजह से यूपी की कई नदियों में जल स्तर बढ़ा हुई है, इसी वजह से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। प्रयागराज, बलिया आदि जिलों में बाढ़ की स्थिति देखने को मिल रही है। जबकि वाराणसी में गंगा किराने के कई घाट पूरी तरह से डूब गए हैं। तुलसी घाट के ऊपर बाढ़ का पानी पहुंच गया है। पानी की बढ़ती स्थिति को देखते हुए गंगा में चलने वाले नावों को बंद कर दिया गया है।
वाराणसी में गंगा किनारे कई घाट डूबे
केंद्रीय जल आयोग की मानें तो बीते शनिवार को गंगा का जलस्तर 69.98 मीटर था, जो कि वाराणसी में खतरे के निशान 71.26 मीटर के बेहद करीब है। वहीं उत्तराखंड के ऋषिकेश में हो रही बारिश की वजह से परमार्थ निकेतन आश्रम पर गंगा नदी का जलस्तर का बढ़ा हुआ है। स्थिति ऐसी ही गई है कि आश्रम की होने वाली आरती स्थान से लेकर भगवान शंकर की मूर्ति तक पानी पहुंच गया है।
यूपी के 24 जिलों में बाढ़ का कहर, कई गांव जलमग्न, खतरे में शहरी इलाके
हिमाचल में कैसे हैं हालात?
हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष हुई 20 जून से 6 अगस्त तक भारी बारिश की वजह से 199 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 1905.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है। ये रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) से सामने आया है। इस मौतों में 108 मौतें भूस्खलन, बाढ़, बादल फटने और बिजली गिरने जैसी आपदा से हुई, जबकि 91 लोगों की मौत इसी समय काल में सड़क दुर्घटनाओं में हुई है।