दिल्ली में निजी कार्यालयों में लोगों की 50 फीसद क्षमता के साथ काम हो सकेगा। दिल्ली सरकार के इस मसविदे को शुक्रवार को उप राज्यपाल अनिल बैजल ने मंजूरी दे दी। हालांकि सप्ताहांत कर्फ्यू से राहत दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया। इस बाबत दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) का आदेश जारी किया।

शुक्रवार को ही उप मुख्यमंत्री ने दिल्ली सरकार का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजे जाने की जानकारी दी थी। हालांकि बाद में दिल्ली सरकार ने बयान जारी कर उप राज्यपाल के फैसले पर भी आपत्ति दर्ज कराई है। डीडीएमए ने सप्ताहांत पर लगा कर्फ्यू हटाने और बाजारों में दुकानें सम-विषम के आधार पर खोलने जैसे कदमों पर यथास्थिति बनाए रखने की सलाह दी।

आदेश में साफ कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार होने की स्थिति में ही सप्ताहांत पर लगने वाला कर्फ्यू हटाने को लेकर फैसला किया जा सकता है। उप राज्यपाल कार्यालय ने साफ किया है कि स्थिति में सुधार होने पर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य विशेषज्ञों के साथ समीक्षा करेंगे। हालांकि अगले आदेश तक सप्ताहांत कर्फ्यू लागू रहेगा।

कर्फ्यू शुक्रवार देर रात 10 बजे से शुरू होकर सोमवार सुबह पांच बजे तक है। सप्ताहांत कर्फ्यू और बाजारों को खोलने के लिए अभी यथास्थिति बनाए रखने को कहा गया है। आदेशों के मुताबिक, आदेशों के उल्लंघन पर व्यक्ति को जुर्माना और जेल दोनों ही हो सकती है। निजी कार्यालयों में 50 फीसद कर्मचारियों के साथ काम करने वाले कार्यालयों को भी डीडीएमए ने विशेष एतियात बरतने को कहा है। कार्यालय अपने कर्मचारियों की संख्या को कम भी रख सकता है।

उप राज्यपाल ने कर्फ्यू और सम-विषम नहीं हटाया : आप
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार की सिफारिशों के बावजूद भाजपा के उपराज्यपाल ने सप्ताहांत कर्फ्यू और सम-विषम की व्यवस्था को नहीं हटाया है। दिल्ली सरकार ने यह प्रस्ताव उप राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा था।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल केंद्र सरकार के नुमाइंदे हैं और उन्होंने दिल्ली को सप्ताहांत कर्फ्यू और सम-विषम चालू रखने के लिए बाध्य किया है। प्रेसवार्ता में सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सम-विषम और सप्ताहांत कर्फ्यू के कारण दुकानें सिर्फ दो या तीन दिन ही खुल पा रही हैं।