दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला के दिल्ली के एक पुरुष के साथ भाग जाने पर गुरुवार को कथित अपहरण के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई। कहा कि इस तरह की “अवैध कार्रवाई” राष्ट्रीय राजधानी में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अदालत ने जोड़े की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 1 जुलाई, 2021 को अपनी मर्जी से शादी की। दंपति ने याचिका में अदालत को बताया कि लड़की के माता-पिता शादी के खिलाफ हैं और उन पर बार-बार धमकी देने का आरोप लगाया गया है। लड़के के पिता और भाई को यूपी पुलिस 6 और 7 अगस्त की दरम्यानी रात को उनके आवास से उठा ले गई और तब से उनके ठिकाने का पता नहीं चला।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अदालत में उपस्थित यूपी के पुलिस अधिकारी से कहा, “यह सब यहां दिल्ली में नहीं चलेगा। ऐसा अवैध काम कि आप दिल्ली से लोग उठा लें और कह दें कि हमने तो शामली से उठाया था और अरेस्ट दिखा दें। ये हम यहां नहीं चलने देंगे।”

अदालत ने कहा, “अगर आप आंख और दिमाग बंद करके काम करते हैं तो हमारे पास इसका कोई इलाज नहीं है। आप दिल्ली पुलिस के स्थानीय थाने को सूचना देंगे, उसके बाद कार्रवाई करेंगे। अपनी मर्जी से किसी को उठाकर नहीं ले जा सकते…कानून यही कहता है? कदम पर कानून का उल्लंघन हुआ है; ये चीज दिल्ली में बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, यूपी पुलिस ने उन्हें बताया कि महिला की मां की शिकायत पर 6 सितंबर को आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। यूपी पुलिस के अनुसार उन्हें 8 सितंबर को कुढाना बस स्टैंड, जिला शामली, यूपी से गिरफ्तार किया गया था। जबकि दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि यूपी के शामली से पुलिस के आने की उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी। दिल्ली के परिवार ने अदालत को बताया कि दोनों लोगों को यहां उनके आवास से ले जाया गया था।

कोर्ट ने पूछा, “अदालत ने मामले में आगे बढ़ने से पहले महिला की उम्र की पुष्टि नहीं करने पर यूपी पुलिस से सवाल किया। “क्या आपने पूछा कि लड़की बालिग है या नहीं? यदि वह बालिग है, तब उसकी मर्जी चलेगी या उसके माता-पिता की। जब आप जांच करते हैं, तो आप शिकायतकर्ता से नहीं पूछते हैं? आरोपी को गिरफ्तार करना शुरू करो”