दिल्ली नगर निगम की तरफ से राजधानी की सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए की जा रही कार्रवाई पर दिल्ली सरकार ने बड़े सवाल खड़े किए हैं। एमसीडी की ओर से इन आवारा पशुओं के दैनिक आधार पर पेश किए गए आंकड़ों और मौजूदा स्थिति के मद्देनजर बड़ी गड़बड़ी और मिलीभगत का अंदेशा जताया है। इस सबके बाद शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस पूरे मामले को लेकर निगमायुक्त को जांच करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इसकी एक विस्तृत रपट तीन सप्ताह के भीतर सौंपने को भी कहा है।
पकड़ने के लिए 20 वाहन, चाल हालत में केवल 17
दरअसल, शहरी विकास मंत्री भारद्वाज की अध्यक्षता में हाल ही में दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग, पशुपालन विभाग और दिल्ली नगर निगम के पशु चिकित्सा सेवा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विशेष बैठक की थी। इस बैठक में एमसीडी और दिल्ली सरकार के पशु पालन विभाग की ओर से डेटा रपट पेश की गईं। रपट की माने तो एमसीडी का कहना है कि उसके पास आवारा पशुओं को पकड़ने/जब्त करने के लिए 20 वाहन है लेकिन अनुमानित तौर पर केवल प्रतिदिन 17 वाहन ही चालू हालात में रहते हैं। हर वाहन से लगभग 5-6 पशुओं को उठाने का काम किया जाता है जिनको दिल्ली की अलग-अलग गऊशालाओं में भेजा जाता है।
एमसीडी की ओर से प्रस्तुत आंकड़ों पर शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसका मतलब यह है कि 17 वाहनों से प्रतिदिन पांच पशुओं को पकड़ने से हर माह गऊशालाओं में 1,870 और हर साल 22,440 पशुओं को भेजा जाता है। एमसीडी की आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली की गऊशालाओं में पशुओं को रखने की क्षमता केवल 19,565 है।
दिल्ली में मौजूदा समय में गऊशालाओं में आवारा पशुओं की संख्या 17,863 है। एमसीडी के इन आंकड़ों पर मंत्री भारद्वाज ने हैरानी जताई है। उनका कहना है कि एमसीडी की ओर से प्रत्येक वर्ष गऊशालाओं में 22,440 आवारा पशुओं को भेजने वाले आंकड़ों का दावा व्यवहारिक तौर पर सटीक नहीं दिखता है।
मंत्री भारद्वाज ने बैठक के दौरान आवारा पशुओं के मामले में दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति की रपट का भी जिक्र किया जिसके बाद अब इन आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए संदेह जताया कि यह सब कागजों पर तैयार किया जा रहा है। मंत्री ने आंकड़ों में हेराफेरी करने की प्रबल संभावना जताई है और कहा कि गऊशाला संचालक और एमसीडी अधिकारी मिलीभगत कर इस तरह की अव्यवहारिक रपट तैयार कर रहे हैं। गऊशाला संचालक आंकड़ों में बता रहे हैं कि गऊशालाओं में हजारों की संख्या में मौत भी हुई हैं। बैठक में इन दर्दनाक मौतों की बड़ी वजह कूड़ा कचरा खाने को बताया गया। इन सभी को गंभीरता से लेते हुए शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने निगम आयुक्त को जांच करने के निर्देश दिए हैं।
प्रत्येक गऊशाला में हो एक कर्मचारी की नियुक्ति
मंत्री ने पशुपालन विभाग के निदेशक को यह भी निर्देश दिये हैं कि सभी गऊशालाओं में एक-एक कर्मचारी की नियुक्ति की जाए। यह कर्मचारी गऊशाला में प्रतिदिन लाये जाने वाले पशुओं के ब्यौरे और होने वाली मौतों का भी विवरण सत्यापित करेंगे। यह स्टॉफ निदेश को हर सप्ताह रपट भेजेंगे जिसकी एक प्रति शहरी विकास मंत्री को भेजी जाएगी। एमसीडी को निर्देश दिए हैं कि आवारा पशुओं की धरपकड़ को पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर 23 से 29 सितंबर तक एक सप्ताह तक अभियान चलाया जाए। एमसीडी ने सरकार से अवैध डेयरियों को हटाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जनशक्ति बढ़ाने को अतिरिक्त फंड की मांग भी की है।
