एक महिला को धमकाने और उसके साथ बलात्कार करने के आरोप में दिल्ली की एक अदालत ने एक युवक को सात साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस कृत्य को अधम और निंदनीय बताते हुए कहा कि इसने पीड़िता के मन में अपमान, घृणा, सदमा और आजीवन दाग छोड़ दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने 22 साल के हसीब को महिला से बलात्कार के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई। महिला उस घर में घरेलू सहायक के रूप में काम करती थी, जहां वह दर्जी का काम करता था। अदालत ने कहा कि दोषी ने पीड़िता के साथ अधम कृत्य किया।
अदालत ने कहा कि इसे वैश्विक तौर पर नैतिक और शारीरिक तौर पर समाज में सर्वाधिक निंदनीय अपराध और पीड़िता के शरीर, मस्तिष्क और निजता पर हमला माना जाता है। उसकी गरिमा तार-तार हो गई है। इस अपराध को लेकर सामाजिक कलंक इस तरह का है कि कई बार पीड़िता अपराध की शिकायत भी नहीं करती। अदालत ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (दक्षिण जिला) को पीड़िता को उचित मुआवजा देने पर फैसला करने को भी कहा। अदालत ने कहा कि अदालतों को यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की दुर्दशा पर प्रतिक्रियाशील होना चाहिए।
पुलिस के मुताबिक, 3 अक्तूबर 2015 को हसीब ने महिला से उस वक्त बलात्कार किया जब वह उस घर में अकेली थी, जहां वह नौकरानी के तौर पर काम करती थी। उसने महिला को किसी को भी घटना की जानकारी देने पर मार डालने की धमकी भी दी। महिला ने अपने पति को घटना के चार दिन बाद इसकी जानकारी दी और उसके बाद शिकायत दर्ज की गई।