सरकारी परियोजनाओं में शामिल एक ठेकेदार, जिसने हाल ही में कर्नाटक में भाजपा सरकार में एक मंत्री पर “कमीशन” के लिए उसे परेशान करने का आरोप लगाया था, मंगलवार सुबह राज्य के उडुपी के एक होटल में मृत पाया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मृतक की पहचान संतोष पाटिल (40) के रूप में की और कहा कि वह मंगलवार सुबह उडुपी के शांभवी होटल में मृत पाया गया। पुलिस ने कहा कि उसे आत्महत्या से मरने का संदेह है।
आरोप लगाए जाने के बाद विपक्षी कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाया था। कर्नाटक के कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने 28 मार्च को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, “बोम्मई सरकार और उसके मंत्रियों के खिलाफ साफ भ्रष्टाचार के आरोप, फिर भी पीएम-सीएम-ईडी-सीबीआई-एसीबी ‘म्यूट मोड’ पर हैं।” सुरजेवाला ने कहा था, ”शिकायतकर्ता बीजेपी नेता है. क्या कर्नाटक में भाजपा अब ‘न खाउंगा, न खाने दूंगा’ की जगह ‘खाओ और खिलाओ’ को अपना लिया है। उन्होंने कहा कि बोम्मई सरकार के रोम-रोम में दुर्गंध है।
मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “घटना की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। सच सामने जरूर आएगा। पुलिस बिना किसी हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से मामले की जांच करेगी।”
कर्नाटक के मंत्री सीएन अश्वत्नारायण ने ठेकेदार संतोष पाटिल की कथित आत्महत्या पर कहा कि “घटना के संबंध में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। इस पर सीएम पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं। सरकार ने कार्रवाई की है और कानून कायम रहेगा। सरकार पक्षपाती नहीं होगी और हम मामले को देख रहे हैं।”
पाटिल ने हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा नेता उन्हें एक साल पहले सरकार के पूरे किए गए कांट्रैक्ट्स के बिलों को मंजूरी देने के एवज में कमीशन देने के लिए परेशान कर रहे हैं। पाटिल ने यह भी कहा था कि अगर उन्हें कुछ हुआ तो ईश्वरप्पा को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मंगलवार की सुबह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को मंगलुरु में सूचित किया गया कि ठेकेदार एक नोट छोड़कर लापता हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है।
पाटिल जो खुद को हिंदू वाहिनी नामक एक दक्षिणपंथी समूह के राष्ट्रीय सचिव के रूप में बताता था, ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि ईश्वरप्पा और उनके सहयोगी उन्हें कमीशन के लिए परेशान कर रहे थे। ईश्वरप्पा ने दावा किया कि वह पाटिल को नहीं जानते।
पाटिल ने केंद्र सरकार को लिखे अपने पत्रों में कहा था कि उन्होंने और छह अन्य ठेकेदारों ने मई 2021 में बेलगावी जिले के हिंडाला ग्राम पंचायत में सड़क परियोजनाओं को पूरा किया था, लेकिन इसके लिए भुगतान नहीं किया गया था। उन्होंने दावा किया कि ठेकेदारों ने परियोजना के लिए 4 करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन भुगतान में सरकारी देरी के कारण उन्हें नुकसान हुआ था।
यह आरोप लगाते हुए कि सरकारी अधिकारी कुल बिल पर 40 प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे हैं, पाटिल ने दावा किया कि उन्होंने अपनी शिकायतों के साथ भाजपा के शीर्ष नेताओं से संपर्क किया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को 11 मार्च के पत्र में कहा था, “मैं बहुत तनाव में हूं और उन पर लेनदारों का भारी दबाव है जिन्होंने मुझे ब्याज पर पैसा दिया है। यदि भुगतान और कार्य आदेश तुरंत नहीं दिया जाता है, तो मेरे पास अपने लिए कोई विकल्प नहीं है।”
पाटिल ने पत्र में कहा, “हमारे राज्य मंत्री आरडीपीआर विभाग के एस ईश्वरप्पा ने मुझे 12-02-2021 को सड़क का काम पूरा करने के लिए कहा … हमने 4 करोड़ रुपये की लागत के साथ 108 से अधिक काम पूरे किए। एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज तक हमें उनसे या संबंधित अधिकारियों से न तो कोई कार्य आदेश मिला और न ही एक रुपया।”