हमज़ा खान
कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण से पूरा देश परेशान है। लेकिन अस्पताल, डॉक्टर्स के मामले में कुछ राज्यों की हालत बेहद खस्ता है। मध्य प्रदेश के नीमच में 8 मई को 75 साल के एक व्यक्ति के अंदर संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए। जिसके बाद उन्हें 250 किमी दूर इंदौर के डेडिकेटेड कोविद अस्पताल (DCH) रिफर कर दिया गया था। चार दिन बाद इस मामले को आधिकारिक तौर पर जिले में पहली कोविद की मौत के रूप में चिह्नित किया गया।
मरीज के बेटे, जो कि खुद एक डॉक्टर है का कहना है कि उन्हें वहां से ले जाना फिर यह पता लगाना कि कहां बैड उपलब्ध हैं और टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार करना। यह सब बेहद दर्दनाक था। इस घटना के एक महीने बाद भी शिवराज सरकार इस इलाके में अस्पताल, डॉक्टर्स का इंतजाम नहीं कर सकी है। अब भी नीमच में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। यहाँ अभी भी कोई डीसीएच नहीं है और गंभीर रोगियों को अब भी सैकड़ों किलोमीटर दूर अस्पतालों में रिफर किया जा रहा है।
2011 की जनगणना के अनुसार, 8.26 लाख लोगों की जनसंख्या वाला यह जिला प्रकोप से निपट रहा है। नीमच में अबतक 208 कोरोना पॉज़िटिव मामले हैं और पाँच लोगों की मौत हो चुकी है। यहां 8 लेवेल -1 कोविद केयर सेंटर्स (CCCs) हैं जहां प्री-माइल्ड” और “माइल्ड” मामलों की जांच होती है। एक लेवल -2 डेडिकेटेड कोविद अस्पताल (DCH) है जहां मॉडरेट केस देखे जाते हैं। यहां डॉक्टरों की 70 प्रतिशत कमी है।
इंडियन एक्सप्रेस ने तीन सीसीसी का दौरा किया जहां संदिग्ध मामलों को रखा गया था। उन्होने पाया कि लोग वहां कर्मचारियों से असंतुष्ट थे और सुविधाओं के बारे में शिकायत कर रहे थे। यहां वरिष्ठ डॉक्टर और विशेषज्ञों के वर्ग एक के 54 पद हैं जिसमें से सिर्फ 10 ही भरे हैं। वहीं वर्ग दो के 73 पदों में मात्र 27 भरे हुए हैं। जिले के अधिकांश गंभीर मामलों को 200 किमी दूर इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज या उज्जैन में आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज रिफर किया जाता है।

