देशभर में कोरोनावायरस को लेकर तमाम उपायों के बीच शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन पर पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को घोषणा की कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में 31 मार्च तक 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी वाले धार्मिक, पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं होगी।
दूसरी तरफ, जबकि शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं का कहना है कि उन्हें कोरोनावायरस से नहीं बल्कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर से डर लगता है। प्रदर्शन कर रही एक महिला ने कहा कि हमें मरना होगा तो हम घर में बैठने पर भी मर जाएंगे। हमें यहां बैठने का शौक नहीं है, सरकार सीएए वापस ले लेगी तो हम धरने से उठ जाएंगे।
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि वह कोरोना से मरना पसंद करेंगी पर ‘काले कानून’ से नहीं। इससे पहले जब मुख्यमंत्री से कोरोनावायरस को लेकर सरकार की घोषणा के शाहीन बाग में भी लागू होने से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से सभी को खतरा है।
मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि सभाओं पर रोक शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर प्रदर्शन पर भी लागू होगी। इन स्थानों पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर पिछले करीब 90 दिनों से कुछ लोग धरने पर बैठे हैं।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 से संक्रमित सात में से चार लोगों का इलाज जारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर पर्याप्त बिस्तरों का बंदोबस्त है। तीन होटलों लेमन ट्री, रेड फॉक्स और आईबीआईएस में लोगों को पृथक रखे जाने की व्यवस्था की गई है। ’’ दिल्ली सरकार ने शहर में सिनेमाघरों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सभी स्विमिंग पूल 31 मार्च तक बंद रखने का पिछले सप्ताह आदेश दिया था। केजरीवाल ने कहा कि सरकार केंद्र के दिशानिर्देश लागू कर रही है और उसके साथ समन्वय में काम कर रही है।

