बिहार में कोरोना संकट के बीच भाजपा और जदयू की तरफ से विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही है। भाजपा जहां वर्चुअल सभाओं पर जो दे रही है वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में छपने वाले कॉलम इनसाइड ट्रैक के अनुसार इन सब के बीच नीतीश कुमार की लोकप्रियता का ग्राफ अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह कोरोना महामारी के लेकर नीतीश कुमार का रवैये को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान नीतीश उस तरह से सक्रिय नहीं दिखाई दिए जिस तरह से उन्हें होना चाहिए था।

महामारी के समय में उन्होंने घर लौटने को आतुर बिहारी प्रवासियों से अनुरोध किया कि वे जहां हैं वहीं बने रहें। जबकि पड़ोसी राज्य यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रवासी मजदूरों को बिहार की सीमा तक ले गए थे। इसके बावजूद नीतीश कुमार राज्य विधानसभा में टीना (TINA) फैक्टर के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इसका मतलब है कि राज्य में उनके सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

कॉलम के अनुसार मौजूदा स्थिति में लालू प्रसाद के परिवार में गहरे मतभेद देखने को मिल रहे हैं। लालू इस चुनाव में अंतर पैदा कर सकते हैं लेकिन वह अभी भी जेल में हैं। हालांकि, झारखंड में सहयोगी दलों की सरकार के कारण लालू रांची के मेडिकल इंस्टीट्यूशन में बेहतर स्थिति में हैं। 7 साल के बाद लालू जब अपनी सजा पूरी करने के करीब होंगे तो उम्मीद है कि पिछले मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल जाए।

यदि वह जेल से भी बाहर आ जाते हैं तो वह सिर्फ चुनाव प्रचार ही कर सकते हैं। लालू प्रसाद यादव चुनाव तो नहीं लड़ सकते हैं। इन सब के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जो बिहार में विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहे थे, लग रहा है अब उनका इससे मोह भंग हो गया है।

ऐसा लगता है कि वह साल 2025 के चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। खबर है कि उनकी उम्मीदवार प्लूरल्स पार्टी की पुष्पम प्रिया चौधरी हो सकती हैं। पुष्पम प्रिया का नारा है कि ‘बिहार बेहतर कर सकता है’।