महाराष्ट्र राज्य विधानसभा का बजट सत्र की शुरुआत में ही सोमवार को जमकर बवाल मचा। दरअसल राज्य विधानसभा में विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी ने राज्यपाल विद्यासागर राव की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित टिप्पणी के खिलाफ विरोध जताया। दोनों विपक्षी पार्टियों ने विरोध में बजट सत्र के दौरान राज्यपाल का ही बहिष्कार कर दिया। बता दें इस महीने की शुरुआत में विदर्भ के एक कार्यक्रम में राव ने RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को देश के सबसे धर्मनिरपेक्ष संगठनों में से एक बताया था। उन्होंने संगठन की तारीफ करते हुए कहा था कि RSS हर धर्म के व्यक्ति और आस्था का का सम्मान करती है। राव की RSS समर्थित टिप्पणियों को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सेंट्रल हॉल में राव के खिलाफ जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए।
पूर्व सीएम चव्हाण ने भी दिया बयानः महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्यपाल राव की निंदा करते हुए कहा कि एक राज्यपाल का पद पार्टी और राजनीति से ऊपर होता है। ऐसे में राज्यपाल जैसे पद पर रहते हुए राव द्वारा किसी संगठन की तारीफ करना बहुत ही निंदनीय है।
राष्ट्रहित पर संघ की विचारधारा को तरजीह का आरोपः एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने बजट सत्र का बहिष्कार करते हुए कहा कि उन्हें शक है बजट सत्र का परिचालन राष्ट्र के हित में नहीं बल्कि RSS की विचारधारा पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक राज्यपाल का पद संवैधानिक और किसी भी एक विचारधारा को मानने से सर्वोपरि होता है। लेकिन यहां तो हमारे राज्यपाल खुलकर RSS विचारधारा का समर्थन करते हैं। ऐसे में हम नहीं जानते कि राज्य विधानसभा मंडल में बजट सत्र को लेकर उनका संबोधन महाराष्ट्र के हित में होगा या RSS के एजेंडे के लिए। इसलिए हमने बजट सत्र का बहिष्कार किया।
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भाजपा-शिवसेना ने दी तीखी प्रतिक्रियाः कांग्रेस और एनसीपी के बजट सेशन का बहिष्कार करने को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और शिवसेना ने फटकार लगाई। बीजेपी वरिष्ठ नेता राज पुरोहित ने बजट सेशन में भाग न लेने पर विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों द्वारा राज्यपाल के संवैधानिक पद को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बेवजह ही राज्यपाल को उनके कांग्रेस समर्थित भाषण के लिए घसीटा जा रहा है। यही नहीं बीते रविवार को विपक्षी दलों ने अंतरिम बजट सत्र की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरफ से आयोजित टी-पार्टी का बहिष्कार किया था। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि राज्य सरकार को इन 6 दिनों के सत्र में किसी तरह की लोकलुभावन फैसलों की घोषणा नहीं करनी चाहिए।