महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आने से प्रवासी मजदूरों की मौत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है। दिग्विजय सिंह ने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना की है और शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफे की मांग की है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि “लाल बहादुर शास्त्री ने ट्रेन हादसे के बाद त्यागपत्र दे दिया। माधव राव सिंधिया जी ने हवाई जहाज की दुर्घटना पर त्यागपत्र दे दिया। अब शिवराज जी बताएं, क्या आपको जिम्मेदारी स्वीकार कर त्यागपत्र नहीं दे देना चाहिए?”
वहीं दिग्विजय सिंह के इन ट्वीट्स पर सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें ही निशाने पर ले लिया है। दरअसल ट्रेन हादसे पर सीएम का इस्तीफा मांगने पर यूजर्स ने दिग्विजय सिंह की आलोचना की है। एक यूजर ने लिखा कि ‘औरंगाबाद क्या मध्य प्रदेश में आता है?? राहुल गांधी का गुरू पक्का यही है।’
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि मनमोहन सिंह की सरकार में सैकड़ों हादसे हुए, लेकिन किसी ने भी त्यागपत्र नहीं दिया। एक यूजर ने ये भी सवाल उठाया कि भोपाल गैस कांड के बाद किसने त्याग पत्र दिया? इसके अलावा सिख विरोधी दंगों के को लेकर भी सोशल मीडिया यूजर्स ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने ट्रेन हादसे के बाद त्यागपत्र दे दिया। माधव राव सिंधिया जी ने हवाई जहाज़ की दुर्घटना पर त्यागपत्र दे दिया। अब शिवराज जी आप बतायें, क्या आपको ज़िम्मेदारी स्वीकार कर त्यागपत्र नहीं दे देना चाहिये?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 9, 2020
इससे पहले अपने एक ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि “उमरिया, शहडोल व मंडला जिले के मध्य प्रदेश के 16 मजदूर ट्रेन से कुचल कर मर गए। मैंने कल ही शिवराज चौहान से प्रश्न किया था क्या इन मजदूरों का पंजीयन हुआ था? यदि हुआ था तो मप्र सरकार ने क्या इंतजाम किया?”
बता दें कि शुक्रवार को एक ट्रेन हादसे में 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी। ये मजदूर लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश अपने घर पैदल जा रहे थे। थकान के चलते औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो गए। इसके बाद अचानक ट्रेन के आने से इन्हें संभलने का मौका भी नहीं मिला और ये ट्रेन की चपेट में आ गए।
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि ट्रेन हादसे में मरने वाले मजदूरों ने वापस लाने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगायी थी लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। मध्य प्रदेश सरकार की अकर्मण्यता के चलते मजदूरों की मौत हुई।