ओमप्रकाश ठाकुर
हिमाचल के आम कांग्रेसी सहमे हुए है। उन्हें डर है कि हिमाचल कांग्रेस का हाल पंजाब कांग्रेस की तरह ही न हो जाए। प्रदेश में सरकार बनाने की उसकी मंशा कहीं धरी न रह जाए। जिस तरह की हलचलें प्रदेश कांग्रेस में चल रही हैं, वह कांग्रेस के तो पक्ष में कतई नहीं बताई जा रही हैं। कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह का कोई आडियो कुछ कांग्रेसियों ने ही पिछले दिनों आलाकमान को पहुंचा दिया।
मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को उनके पद से हटाने के लिए एक अरसे से प्रयास चलते रहे थे। हालांकि पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किसी बदलाव को लेकर कतई इनकार कर दिया था, लेकिन पार्टी पर वर्चस्व की मंशा पाले प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने दोबारा मुहिम चलाई जो सिरे चढ़ गई है। आलाकमान ने प्रतिभा सिंह को पार्टी की कमान दे दी है। आडियो आलाकमान तक पहुंचाने वाले जाहिर है अब नए अध्यक्ष व उनके खेमे के निशाने पर रहेंगे। दोनों खेमों में घमासान जारी रहेगा। अब यह कांग्रेस को तय करना है कि उसे आने वाले दिनों में बिखराव से कैसे बचना है। हालांकि इसके आसार ज्यादा नजर नहीं आ रहे है।
दूसरी ओर धीरे-धीरे अब आलाकमान पर मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित करने का दबाव बनाया जाएगा। कांग्रेस में सबसे बड़ी जंग तो इसी पद को लेकर है। हालांकि चेहरा घोषित करने को लेकर आलाकमान ने साफ कर दिया है कि पंजाब की गलती को हिमाचल में नहीं दोहराया जाएगा। जो भी हो इन दिनों कांग्रेस मैदान से गायब है और शिमला नगर निगम के चुनाव सिर पर आ गए है।
पूर्व कांगेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार अभियान का जिम्मा दे दिया गया है। साफ है कांग्रेस में अब धड़ेबंदी की शुरुआत हो गई। अब तक कुलदीप सिंह राठौर ने इस धड़ेबंदी को रोके रखा था। वे सभी खेमों में एका बनाए रखने में कामयाब रहे थे। इसी एकजुटता की वजह से वे चार नगर निगमों में दो पर कांग्रेस को जीत दिलाने में कामयाब रहे थे जबकि उपचुनावों में तो चारों सीटें जीत ली थी।
उधर, जमीन पर प्रदेश में भाजपा और आम आदमी पार्टी ने ताल ठोंक दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा शिमला व कांगड़ा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लेकर दो रैलियां कर चुके हैं। उसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री तो बिना संगठन के ही कांगड़ा में सफल रैली कर चुके हैं और जिस तरह उनकी ओर जनता का रूझान रहा उसे देखकर केजरीवाल अब प्रदेश में अपने पांव फैलाने के लिए लालायित हो उठे हैं। बेशक उनकी पार्टी की प्रदेश में कार्यकारिणी तक नहीं है। पार्टी की कार्यकारिणी न होने के बावजूद केजरीवाल ने कांगड़ा के चंबी मैदान में सफल रैली कर दोनों दलों के नेताओं की नींद उड़ा दी है।
कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला एक अरसे से एक खेमे को आगे बढ़ाने में लगे है। पार्टी के सह प्रभारी संजय दत्त ने उपचुनावों में पूरी पार्टी को एक साथ लेकर प्रचार अभियान चलाया था व वे पार्टी के तमाम खेमों को एक रखने में सफल भी हुए थे। लेकिन अब आलाकमान में कांग्रेस के सिपहसलारों ने उन्हें हिमाचल की राजनीति से कुछ दूर कर दिया है। वे हिमाचल की सक्रिय राजनीति से एक अरसे से गायब हैं। जून महीने में शिमला नगर निगम के महत्त्वूपर्ण चुनाव होने है। इन चुनावों को सेमीफाइनल करार दिया जाता रहा है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगर कांग्रेस शिमला नगर निगम के चुनाव हार गई तो पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाएगा और इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा।
प्रदेश में अगर आम आदमी पार्टी मैदान में उतर गई तो भाजपा को तो जो नुकसान होगा वह होगा ही, लेकिन कांग्रेस अगर एकजुट नहीं रही तो वह बिखर जाएगी और पूरा कैडर आम आदमी पार्टी की ओर खिसक जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। आप संयोजक केजरीवाल इसी फिराक में है कि कांग्रेस में घमासान हो और वे पार्टी से छिटकने वाले कांग्रेसियों को अपनी पार्टी में शामिल कर लें। प्रदेश में केजरीवाल के दौरों के बाद आम लोगों में आप को लेकर सुगबुगाहट तो है ही।
यह कांग्रेस और भाजपा के नेता दोनों ही समझ तो रहे हैं। बावजूद इसके कांग्रेस में पार्टी पर वर्चस्व को लेकर जो घमासान छिड़ा है वह तबाही के अलावा कुछ नहीं लाने वाला है। अब यह घमासान आने वाले में घटने के बजाय बढ़ने वाला है। दिल्ली गए एक कांग्रेसी नेता ने तो कहा भी कि जिस तरह से पंजाब में कांग्रेस तबाही की राह पर चली थी, प्रदेश कांग्रेस में भी उसी तरह के आसार बन रहे है।