2019 Lok Sabha Election : आगामी लोकसभा को देखते हुए बीजेपी और शिवसेना ने 18 फरवरी की शाम गठबंधन की घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस ने उन पर निशाना साधते हुए पूछा है कि क्या गठबंधन का यह रिश्ता पवित्र है? क्या बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन राजनीति से प्रेरित नहीं है? क्या आप राजनीतिक मिलावट नहीं कर रहे हैं। बता दें कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद कई बार सार्वजनिक तौर पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की आलोचना कर चुके हैं। अब बीजेपी उन्हीं के साथ गठबंधन कर रही है। गौरतलब है कि 7 फरवरी को संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर तंज कसते हुए कहा था कि विपक्ष का गठबंधन एक महामिलावट है, जिसे जनता चुनाव में खारिज कर देगी।
तल्ख संबंधों के बीच गठबंधनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ट्वीट कर भाजपा-शिवसेना को गठबंधन की बधाई दी। साथ ही, कहा कि भाजपा-शिवसेना महाराष्ट्र की भलाई के लिए काम करना जारी रखेंगी। बता दें कि पिछले 5 साल में भाजपा और शिवसेना के संबंध काफी असहज हुए हैं। शिवसेना राम मंदिर, कश्मीर और राफेल मुद्दे को लेकर भाजपा पर कई बार निशाना साध चुकी है। वहीं, शिवसेना सरकार महाराष्ट्र में हमेशा से ही खुद को बीजेपी का बड़ा भाई बताती आई है। हालांकि, बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने जनवरी 2019 में कहा था कि अगर 2019 लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन नहीं होता है तो हम महाराष्ट्र में शिवसेना को हरा देंगे। इस पर शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
बीजेपी-शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा था विधानसभा चुनाव
साल 2014 में हुए थे मतभेद : साल 2014 में शिवसेना और बीजेपी के बीच आपसी मतभेद खुलकर सामने आए थे। इसके चलते दोनों दलों ने महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव अलग-अलग लड़ा था। उस वक्त बीजेपी ने 288 विधानसभा सीटों में से 260 पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन शिवसेना ने सभी 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने 122 सीटों पर और शिवसेना ने 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में चुनाव के बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया था, लेकिन उनके बीच संबंध कुछ खास नहीं रहे।

