UP Politics: लोकसभा चुनाव के बाद लखनऊ में भाजपा की पहली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक में दोनों डिप्टी सीएम के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। हालांकि, बैठक में सभी ने बारी-बारी से अपनी बात रखी। साथ ही लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को क्यों झटका लगा इस पर भी मंथन हुआ और 2027 के रोडमैंप को लेकर भी एक लकीर खींची गई। जिससे यह साफ हो गया कि यूपी में सीएम योगी का पावर कम नहीं, बल्कि और ज्यादा बढ़ने वाला है। इस बात के संकेत खुद सीएम योगी ने अपने भाषण के माध्यम से भी दे दिया। लेकिन एक बार यह भी साबित हुआ कि सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही टशन अभी खत्म नहीं हुई है।
सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर सभी कार्यकर्ताओं को अभी से एक्टिव होना होगा। आज से 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। हमें एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में भाजपा पर परचम लहराना है। योगी का यह वक्तव्य पार्टी में और विपक्ष में उनके विरोधियों को इतना बताने के लिए काफी था कि उनकी टेंशन बढ़ी नहीं है, बल्कि 2027 यूपी विधानसभा चुनाव में एक अलग अंदाज में ही नजर आएंगे। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में सीट बंटवारे का पूरा दारोमदार योगी आदित्यनाथ के ही कंधों पर होगा। इस लिहाज से पार्टी की तरफ से योगी आदित्यनाथ को यह बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
बैठक में सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव नतीजों का भी जिक्र किया। योगी ने कहा कि आति आत्मविश्वास के कारण ही हामारी अपेक्षाओं को चोट पहुंची है। इस दौरान योगी ने जहां विपक्षी पार्टियों द्वारा समाज को जातियों को बांटने को लेकर हमला बोला तो पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने की सलाह दी। सीएम योगी ने यहां तक कहा कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया पर एक्टिव होना होगा। जिससे अफवाहों का तत्काल खंडन किया जा सके। योगी ने कहा कि सपा और कांग्रेस ने संविधान को लेकर लोगों में झूठा भ्रम फैलाया है। इसका हमको करारा जवाब देना होगा।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने यूपी में 2014, 2017, 2019, 2022 बड़ी सफलता प्राप्त करके दबाव बनाए रखा था। 2014 व उसके बाद के चुनाव में जितना मत प्रतिशत भाजपा के पक्ष में था, 2024 में भी उतना वोट पाने में सफल रहे, लेकिन वोटो की शिफ्टिंग और अति आत्मविश्वास ने हमारी अपेक्षाओं को चोट पहुंचाई।
चर्चा- सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद में नहीं बनती
वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से दोहराया कि संगठन सरकार से बड़ा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जो दर्द आपका है, वही मेरा है। इस दौरान केशव प्रसाद का अप्रत्यक्ष रूप से इशारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ ही था। यूपी में यह चर्चा रहती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। यही वजह है कि दोनों अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे पर निशाना साधते रहते हैं।
इसकी बड़ी वजह यह भी हो सकती है। जब 2017 यूपी के मुख्यमंत्री को बनाने को लेकर पार्टी में चर्चा चल रही थी तो उस वक्त पांच नामों पर मोटे तौर पर विचार किया गया था, जिनमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, लक्ष्मीकांत वाजपेयी, मनोज सिन्हा और दिनेश शर्मा शामिल थे। 2014 के संसदीय चुनाव से ही उन्होंने अपना सोशल बेस काफ़ी बढ़ाया था। उस निगाह से ओबीसी और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते केशव प्रसाद मौर्य का दावा सबसे अधिक मज़बूत बनता था, लेकिन सोच-विचार के बाद पार्टी ने योगी को चुना। जिसको लेकर पार्टी ने कई समीकरणों पर ध्यान दिया तो योगी एक स्वाभाविक उम्मीदवार के तौर पर सामने आए क्योंकि वो एक बाबा थे और दूसरे उस समय बीजेपी में हार्डलाइन हिंदुत्व की तरफ जाने की जो कोशिश हो रही थी, उसके वे प्रतीक थे और वैचारिक रूप से आरएसएस भी उनके साथ था।
2022 में योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का विचार कर रही थी बीजेपी
2022 विधानसभा चुनाव से पहले एक समय आया जब केंद्र ने करीब-करीब उन्हें हटाने का मन बना लिया था, लेकिन वो इसे रोकने में कामयाब हो गए। ये लगभग तय हो गया था कि योगी को हटाया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में सिर्फ नौ महीने शेष रह गए थे। उप-मुख्यमंत्री मौर्य से उनके टकराव की खबरें आ रही थीं, लेकिन तभी आरएसएस नेताओं के हस्तक्षेप के बाद योगी अचानक मौर्य के घर पहुंचे। उस समय तक योगी की लोकप्रियता पार्टी से भी ऊपर पहुंच चुकी थी और उनको दूसरे राज्यों से भी प्रचार करने के लिए बुलाया जा रहा था। आकलन के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगा कि योगी को हटाने का यह सही समय नहीं है।
इस मामले का पटापेक्ष तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी की लखनऊ में मुलाकात हुई। योगी ने मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें पीएम का हाथ उनके कंधे पर है। जिसमें उन्होंने लिखा-हम निकल पड़े हैं प्रण करके, अपना तन मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगाना है, अंबर से ऊपर जाना है। उसके बाद 2022 का चुनाव योगी के नेतृत्व में लड़ा गया जिसमें बीजेपी की जीत हुई।
अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है तो एक बार फिर से यह चर्चा तेज हो गई थी कि हो सकता है योगी को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जाए और राज्य का मुख्यमंत्री किसी पिछड़े वर्ग के नेता को बनाया जा सकता है। लेकिन उन सभी कयासों पर यूपी बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में पूरी तरह से विराम लग गया। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भाषण सीएम योगी का 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर है।
लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने दिया था योगी को लेकर बड़ा बयान
इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर बयान दिया था। जिसका सीएम योगी ने पलटवार भी किया था। 16 मई, 2024 को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस दावे को हवा दे दी थी कि अगर बीजेपी सत्ता में लौटी तो योगी आदित्यानथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा।
जिसके बाद सीएम योगी ने केजरीवाल और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर पलटवार किया था। सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी और दिल्ली में एक आम आदमी पार्टी है, उनके अध्यक्षों की प्रेस वार्ता हो रही थी। अब नेता समाजवादी पार्टी, कांग्रेस या आदमी पार्टी के हों इनको अब जनता सुनना नहीं चाह रही है, इसलिए प्रेसवार्ता करके अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की बुद्धि भी भ्रम में पड़ गई है। यह जेल जाने का एक रिएक्शन है। कभी कभी होता क्या है, जब व्यक्ति जेल में जाता है तब उसकी बुद्धि भी पलट जाती है, ऐसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल की बुद्धि भ्रम में पड़ गई है।’
सीएम योगी ने केजरीवाल के बयान पर किया था पलटवार
सीएम योगी ने कहा कि, ‘वह जेल क्या गए , जेल में जाकर उनको ये लगता है, अब जेल के बाहर कभी नहीं आना है। उनको मुख्यमंत्री पद का ऐसा लालच हो गया है कि वो अपनी बात को मेरे साथ जोड़ रहे हैं। मैं एक बात कहना चाहता हूं कि आपके जेल जाने का अनुभव दिल्ली वालों के लिए बड़ा सुखद है, क्योंकि आपने हाथ में झाडू तो लिया, लेकिन अन्ना हजारे के सपने पर पानी फेरने का काम जरूर कर दिया। अन्ना हजारे ने जिस कांग्रेस के भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आंदोलन किया था, उसी कांग्रेस को अपने गले का हार बना करके आप जो पाप कर रहे हैं, अन्ना हजारे आपको कभी माफ नहीं कर सकते हैं।’
बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। इतना ही नहीं जिस राम मंदिर को लेकर बीजेपी आगे बढ़ी थी, पार्टी वही अयोध्या की सीट हार गई।