पश्चिम बंगाल के वन और औद्योगिक पुनर्निर्माण मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंत्रिमंडल से हटा दिया है। ज्योतिप्रिय मल्लिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) घोटाले मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। शुक्रवार शाम ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया है। इस मामले में ज्योतिप्रिय मल्लिक को पिछले साल 27 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था।

20 जनवरी को ईडी ने कोलकाता की एक अदालत को बताया था कि यह घोटाला (जिसमें पीडीएस प्रणाली के लिए सब्सिडी वाले खाद्यान्न को बिक्री के लिए खुले बाजार में भेज दिया गया था) करीब 20,000 करोड़ रुपये का है। यह तब हुआ जब ज्योतिप्रिय मल्लिक 2011 (जब टीएमसी पहली बार सत्ता में आई) और 2021 के बीच पश्चिम बंगाल के खाद्य मंत्री थे।

टीएमसी ने कहा कि सिंचाई और जलमार्ग मंत्री पार्थ भौमिक को औद्योगिक पुनर्निर्माण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जबकि बीरबाहा हांसदा अब से कैबिनेट मंत्री के रूप में वन विभाग संभालेंगे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्री पद से हटाने का फैसला लिया और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ इस मामले पर चर्चा की। इसके बाद शुक्रवार को कैबिनेट फेरबदल की घोषणा की गई। एजेंसियों की जांच के बाद सरकार से हटाए जाने वाले ज्योतिप्रिय मल्लिक दूसरे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं।

ईडी ने नौकरी के बदले रिश्वत घोटाले में जुलाई 2022 में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। सितंबर 2022 में दायर अपनी पहली चार्जशीट में ईडी ने कहा कि उसने दोनों से जुड़ी ₹103.10 करोड़ की नकदी, आभूषण और अचल संपत्ति को जब्त किया है।

इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को मंत्रिमंडल से हटा दिया था और उनकी गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद उन्हें टीएमसी से भी निलंबित कर दिया गया। तब से पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को जमानत नहीं मिली है। पीडीएस घोटाले में ईडी ने पिछले साल 12 दिसंबर को पीएमएलए के तहत अपनी चार्जशीट दायर किया था, जिसमें ज्योतिप्रिय मल्लिक, चावल मिल मालिक और होटल व्यवसायी बाकिबुर रहमान और 10 शेल कंपनियों का नाम शामिल था।