New Delhi : दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना (VK Saxena) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच पत्रों के माध्यम से चल रही बातचीत ख़ास चर्चा का विषय बना हुआ है। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना (VK Saxena) ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को दिल्ली में शासन के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक के लिए बुलावे का एक पत्र भेजा था। इस पत्र का मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने जवाब दिया है।
उपराज्यपाल ने क्या कहा था
उप राज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) ने अपने पत्र में तंजिया लहजे में लिखा था कि पहले हम अक्टूबर तक नियमित रूप से बैठकें किया करते थे, लेकिन बाद में आप विधानसभा की गतिविधियों में व्यस्त हो गए। जिसके बाद हमारे बीच संपर्क के तार टूट गए। एलजी ने आगे अपने पत्र में लिखा कि मैं इस बात की सराहना करता हूं कि आपने गर्वनेंस को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिया जवाब
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालने इस “तंज’ की ओर इशारा करते हुए जवाब दिया कि मैंने चुनाव अभियान के बाद शहर में शासन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है लेकिन आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है और उसके राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते मुझे देश के कई हिस्सों में चुनाव अभियान में जाना पड़ता है।
केजरीवाल ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री, माननीय गृह मंत्री और कई भाजपा मुख्यमंत्री जैसे योगी आदित्यनाथ जी, शिवराज सिंह जी, पुष्कर धामी जी आदि भी उस समय गुजरात और दिल्ली में अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे। केजरीवाल ने कहा कि वह अपने कार्यालय से सुविधाजनक तारीख तय करने के बाद उपराज्यपाल से मिलने जरूर जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि क्या अब से बिजली विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जल विभाग आदि ये सब सीधे आपके द्वारा चलाए जाएंगे? फिर निर्वाचित सरकार क्या करेगी, सर? क्या यह सभी SC के निर्णयों के विपरीत नहीं होगा ? जहां यह बार-बार कहा गया है कि एलजी सभी हस्तांतरित विषयों पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं? अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा कि निजी तौर पर चाय पर चर्चा की जा सकती है लेकिन इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा उपयोगी होगी।