प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के दौरान बीजेपी और जेडीयू ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की। पर लोकसभा चुनाव से पूर्व बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान कहे जाने वाले लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री की रैली से दूरी बनाई। वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा भी बेगूसराय और औरंगाबाद की रैलियों में नजर नहीं आए। दोनों ही नेता ने पीएम मोदी का सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट शेयर कर भी स्वागत नहीं किया। जबकि, मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, केंद्रीय मंत्री पशुपित पारस और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी समेत एनडीए के अन्य नेता पीएम की सभाओं में शामिल हुए।

चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के पीएम मोदी की रैलियों से दूरी बनाए जाना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे उन अटकलों को हवा मिल गई है,जिसमें दावा किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार एनडीए में एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, एनडीए में बिहार की लोकसभा सीटों के बंटवारे पर पेच फंसा हुआ है। यही कारण है कि बीजेपी ने शनिवार को देशभर की 195 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए, लेकिन इसमें बिहार की एक भी सीट नहीं थी।

चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर अपने चाचा पशुपित पारस से नाराजगी चल रही है। बीजेपी इन दोनों के बीच सहमति बनाने में अब तक सफल नहीं हुई है। दूसरी ओर, चिराग पासवान जेडीयू की एनडीए में वापसी से भी ज्यदा खुश नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले महीने नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण के समय उन्होंने कहा था कि वह उनकी नीतियों का विरोध करते रहेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में पशुपित पारस और नीतिश कुमार दोनों मंच पर मौजूद रहे। माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से चिराग पीएम की सभा में शामिल नहीं हुए।

दूसरी ओर सीटों पर सहमति नहीं बनने के चलते उपेंद्र कुशवाहा भी अलग-थलग चलते हुए नजर आ रहे हैं। उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा था कि कुशवाहा पीएम मोदी की बेगूसराय रैली में शामिल होंगे और भाषण भी देंगे। पर शनिवार को बेगूसराय की जनसभा में वे नजर नहीं आए। कुशवाहा ने रोहतास जिले के का दौरा किया और विभिन्न शादी समारोह में शिरक्त की। यहां तक कि उन्होंने ट़वीट कर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर कोई पोस्ट भी नहीं की।

किन सीटों को लेकर फंसा हुआ है पेंच?

बिहार एनडीए में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, मगर बीजेपी के 17 और जेडीयू के 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है। अन्य सात सीटों पर चारों सहयोगी दलों को एडजस्ट किया जाएगा। जेडीयू अपनी सीटिंग सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में सीट शेयरिंग का मामला पेचीदा बना हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा काराकाट लोकसभा सीट पर दावा ठोक रहे हैं, लेकिन यह सीट अभी जेडीयू के पास है। जीतन राम मांझी भी गया लोकसभा सीट चाहते हैं। जहां से जेडीयू के विजय मांझी ने पिछली बार चुनाव जीता था। इसके अलावा कुछ अन्य सीटों पर भी पेच फंसा हुआ है