राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले अब बंद चाय बागान भी राजनीति का अहम मुद्दा बन गए हैं। उत्तर बंगाल में डंकन समूह के बंद चाया बागानों और उनमें भुखमरी से मजदूर की मौतों के मुद्दे पर राजनीति तो कई महीनों से चल रही थी। लेकिन अब उन सात बंद बागानों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने का फैसला कर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने जहां खुद को चाय मजदूरों की हितैषी साबित करने का प्रयास किया हैए वहीं इस मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार को भी झटका दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन बागानों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने की बात कह रही थी।
उत्तर बंगाल की लगभग दो दर्जन सीटों पर चाय मजदूरों के वोट ही निर्णायक हैं। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर इन बागानों का प्रबंधन टी बोर्ड के हाथों में सौंपने का फैसला किया है। हालांकि बागान चलाने की टी बोर्ड की दक्षता पर सवाल भी उठ रहे हैं। दूसरी ओर ममता ने केंद्र के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उसे मजदूरों के बकाया वेतन-भत्तों और राशन का भुगतान सुनिष्ति करना होगा। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वहां भुखमरी से किसी मजदूर की मौत नहीं हो। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने बागान मालिकों से मजदूरों की बकाया रकम वसूलने की दिशा में पहल की थी और प्रबंधन 40 करोड़ देने पर सहमत भी हो गया था।
डंकन समूह के सात बागानोंकृबीरपाड़ा, गेरगंदा, लंकापाड़ा, तुलसीपाड़ा, हांटापाड़ा, धूमचीपाड़ा और डिमडिमा की हालत बेहद खराब है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने टी बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर इन बागानों का प्रबंधन उसे सौंपने का फैसला किया है।
उत्तर बंगाल के चाय बागान इलाकों में भाजपा का जनाधार धीरे-धीरे काफी मजबूत हो रहा है। बीते सप्ताह राज्य के दौरे पर आए पार्टी अद्यक्ष अमित शाह ने भी प्रदेश के नेताओं को बंद बागानों के मुद्दे पर आंदोलन तेज करने को कहा था। दूसरी ओरए चाय मजदूरों के वोटों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए ममता भी इस मुद्दे पर सक्रिय रही हैं। उन्होंने डंकन के खिलाफ सीआईडी जांच शउरू कराई है और उसके मालिक से पूछताछ भी हो चुकी है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विधानसभा चुनावों से पहले इन बागानों का प्रबंधन अपने हाथों में लेकर भाजपा ने राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस पर दबाव बढ़ाने की पहल की है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार बंद बागानों के मुद्दे पर उदासीन है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश भाजपा के अनुरोध पर ही केंद्र सरकार ने मजदूरों की बदहाली को देखते हुए इस मामले में पहल की है।
इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारामन भी इसी महीने चाय बागान इलाकों का दौरा कर चुकी हैं। उन्होंने वहां संबंधित पक्षों के साथ एक बैठक की थी। उसमें तय हुआ था कि राज्य सरकार व टी बोर्ड मिल कर नए प्रबंधन की तलाश करेंगे। डंकन समूह के 14 बागानों में पहली फरवरी से स्वाभाविक काम शुरू होना था। बीते सप्ताह आयोजित एक तितरफा बैठक में प्रबंधन ने सौ करोड़ की बकाया रकम में से 40 करोड़ देने का भरोसा दिया था। लेकिन उसके पहले ही केंद्र ने सात बागानों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया है।
बंद बागानों पर इस खींचतान से साफ है कि विधानसभा चुनावों में यह भी एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर उभरेगा।