उत्तर प्रदेश में अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने शनिवार को दिल्ली, लखनऊ समेत कई शहरों में करीब 14 जगह छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान सीबीआई ने आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला के लखनऊ स्थित आवास पर भी छापेमारी की। जिसके बाद से ही बी.चंद्रकला मीडिया में सुर्खियां बनी हुई हैं। बता दें कि आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला सोशल मीडिया पर स्टार का दर्जा रखती हैं। बताया जा रहा है कि सीबीआई ने सबसे लंबी छापेमारी बी.चंद्रकला के आवास पर ही की। इस दौरान सीबीआई ने आईएएस अधिकारी के घर से अहम दस्तावेज बरामद करने के अलावा बी.चंद्रकला के दो बैंक खाते और एक लॉकर को भी जब्त किया है।
सोशल मीडिया पर रखती हैं स्टार का दर्जाः बी.चंद्रकला सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं। सोशल मीडिया पर आईएएस अधिकारी की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके ट्विटर पर 8.94 लाख फॉलोअर्स हैं। वहीं फेसबुक पर बी.चंद्रकला के पेज को 85 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं। 2008 बैच का आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को लेकर भी काफी सुर्खियां बटोर चुकी हैं। कुछ साल पहले जब वह बुलंदशहर में डीएम के पद पर कार्यरत थीं, उस वक्त उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी देखा गया था। दरअसल इस वीडियो में बी.चंद्रकला विकास कार्यों में ढिलाई के लिए अधिकारियों को सरेआम डांटते नजर आयीं थी।
बी.चंद्रकला एक युवक के साथ हुए सेल्फी विवाद में भी चर्चा में आ चुकी हैं। दरअसल बुलंदशहर में तैनाती के दौरान 1 फरवरी, 2016 को एक युवक ने बी.चंद्रकला के साथ सेल्फी लेने की कोशिश की, जिस पर आईएएस अधिकारी द्वारा आपत्ति जतायी गई। बी.चंद्रकला ने युवक से तस्वीर डिलीट करने को कहा तो युवक ने सुरक्षाकर्मियों के साथ कथित तौर पर हाथापाई शुरु कर दी। जिसके बाद आरोपी युवक को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया गया था।
भाजपा ने लगाए थे आरोपः बी.चंद्रकला उन चुनिंदा आईएएस अधिकारियों में गिनी जाती हैं, जो उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के कार्यकाल के पूरे 5 साल कहीं न कहीं डीएम रहीं। मेरठ में डीएम रहने के दौरान तो भाजपा नेताओं ने बी.चंद्रकला पर ‘सपा कार्यकर्ता’ के रुप में काम करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी। अहम बात ये है कि शनिवार को सीबीआई ने बी.चंद्रकला के घर पर जो छापेमारी की है, वो भी अखिलेश सरकार में हुए कथित अवैध खनन के मामले में की गई है। बी.चंद्रकला पर आरोप है कि उन्होंने हमीरपुर में डीएम रहते हुए नियमों की अनदेखी कर कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए खनन के टेंडर दिए थे। गौरतलब है कि जिस वक्त अवैध खनन के टेंडर जारी किए गए, उस वक्त उत्तर प्रदेश में खनन मंत्रालय तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के पास था। ऐसे में अवैध खनन के इस मामले की जांच का दायरा पूर्व सीएम अखिलेश यादव तक भी जा सकता है।