राष्ट्रगान का अपमान करने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राहत देने से इनकार कर दिया है। यह मामला साल 2022 का है, जिसकी सुनवाई जस्टिस अमित बोरकर की एकल पीठ ने की। ममता बनर्जी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध करने वाली अर्जी पर पुनर्विचार को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
ममता बनर्जी ने एक सत्र अदालत के जनवरी 2023 के उस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें मामले को जांच के लिए और समन जारी करने के मुद्दे पर वापस मजिस्ट्रेट की अदालत में भेज दिया गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में ममता बनर्जी ने कहा कि विशेष अदालत को समन हमेशा के लिए रद्द कर देना चाहिए था, ना कि मामले को वापस मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाना चाहिए था। हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में कोई राहत ना देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समन को विशेष अदालत में चुनौती दी थी। जनवरी 2023 में विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने प्रक्रियात्मक आधार पर मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया और मजिस्ट्रेट से शिकायत पर नए सिरे से विचार करने को कहा। हाईकोर्ट में अपने आवेदन में बनर्जी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि मजिस्ट्रेट को नए सिरे से विचार करने का निर्देश देने के बजाय समन को रद्द कर देना चाहिए था।
ममता बनर्जी पर क्या है आरोप?
शिकायतकर्ता विवेकानंद गुप्ता ने अपनी शिकायत में ममता बनर्जी पर राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाया है। गुप्ता ने दावा किया कि ममता बनर्जी ने राष्ट्रगान का अपमान किया है और यह 1971 के राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम के अपमान की रोकथाम के तहत एक अपराध है। मार्च 2022 में एक मजिस्ट्रेट की अदालत ने कार्यकर्ता विवेकानंद गुप्ता द्वारा दायर शिकायत पर ममता बनर्जी को एक समन जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुंबई में कफ परेड में यशवंतराव चव्हाण सभागार में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान ममता बनर्जी ने बैठकर राष्ट्रगान गाना शुरू कर दिया था और बाद में कार्यक्रम स्थल से जाने से पहले खड़े होकर सिर्फ दो छंद गाए। शिकायतकर्ता ने इस मामले में ममता बनर्जी के खिलाफ कफ परेड थाने में शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस के कोई कार्रवाई नहीं करने पर उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत का रुख किया।