मुंबई ट्रेन ब्लास्ट की घटना 2006 में हुई थी। इन धमाकों में 187 लोगों की जान गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में कमाल अहमद अंसारी को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन इसी साल 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपियों को बरी कर दिया। बरी होने वालों में कमाल अहमद अंसारी का भी नाम था, लेकिन दुख की बात यह है कि 4 साल पहले ही उनकी मौत हो गई थी। इस बीच कमाल के परिजनों ने उन्हें रविवार को याद करते हुए कब्र के पास फैसले को पढ़ा।

कब्रिस्तान के पास खड़े होकर परिजनों ने पढ़ा फैसला

रविवार सुबह नागपुर के जरीपटका कब्रिस्तान में एक शांति सभा हुई, जहां 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोटों में बरी हुए कमाल अहमद अंसारी के परिवार के सदस्य और सहयोगी उनकी याद में इकट्ठा हुए। कमाल अहमद की जेल में मृत्यु हो गई थी और इसके चार साल बाद उनके परिजन उनकी कब्र के पास खड़े हुए और बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को जोर से पढ़ा जिसने उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया।

2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में 2015 में एक विशेष मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) अदालत ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था। इसमें कमाल अंसारी सहित पांच को मौत की सज़ा सुनाई गई थी। 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसले को पलट दिया और सबूतों की कमी के बाद सभी 12 लोगों को बरी कर दिया। बता दें कि हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही कमाल अंसारी का जेल में निधन हो गया था।

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चिकन की दुकान चलाते थे कमाल

बिहार के मधुबनी के एक दिहाड़ी मज़दूर कमाल अंसारी को 2006 में गिरफ़्तार किया गया था। वह अपनी पत्नी और पांच बच्चों का पेट पालने के लिए एक छोटी सी चिकन की दुकान चलाता था और सब्ज़ियाँ बेचता था। उसने 16 साल जेल में बिताए। 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान नागपुर सेंट्रल जेल में कमाल की मौत हो गई।

कमाल के छोटे भाई जमाल अहमद (जो अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली से आए थे) आँखों में आँसू लिए उसकी कब्र के पास खड़े थे। उनके साथ आरोपी डॉ. अब्दुल वाहिद शेख भी थे, जो एक दशक पहले विशेष मकोका अदालत द्वारा बरी किए जाने वाले एकमात्र अभियुक्त थे। शेख ने कहा, “अदालत ने उनका नाम तो साफ़ कर दिया है, लेकिन उनके खोए 16 सालों का क्या? उनके बच्चे उनके बिना बड़े हुए और उनकी पत्नी शर्म के साये में जी रही थीं।”