Amroha Lok Sabha Seat: मैं कोई नकली राष्ट्रवादी नहीं हूं। बीजेपी चाहकर भी इन चुनावों में हिंदू-मुसलमान नहीं कर पा रही है’। यह बात कुंवर दानिश अली ने न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में कही है। दानिश अली 2024 का लोकसभा चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उन्होंने 2019 में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन करते हुए बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।
दानिश अली को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें अभी भी सपा का तो समर्थन प्राप्त है, लेकिन इस बार बसपा ने भी अमरोहा से एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद कुंवर सिंह तंवर अब रालोद के समर्थन से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। जमीनी स्तर पर कुंवर सिंह तंवर मजबूत अभियान चलाते नजर आ रहे हैं। दानिश अली ने 2019 में 63,000 वोटों से जीत हासिल की थी।
अमरोहा लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कौन-कितनी बार जीता?
साल | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
2019 | कुंवर दानिश अली | बसपा | 601082 |
2014 | कुंवर सिंह तनवर | बीजेपी | 528880 |
2009 | देवेंद्र नागपाल | आरएलडी | 283182 |
2004 | हरीश नागपाल | IND | 287522 |
1999 | राशिद अल्वी | बसपा | 337919 |
1998 | चेतन चौहान | बीजेपी | 295603 |
1996 | प्रताप सिंह | समाजवादी पार्टी | 257905 |
1991 | चेतन चौहान | बीजेपी | 225805 |
1989 | हर गोविंद | JD | 271559 |
1984 | रामपाल सिंह | कांग्रेस | 181642 |
1980 | चंद्रपाल सिंह | JNP(S) | 132602 |
1977 | चंद्रपाल सिंह | BLD | 209895 |
1971 | इशाक संभली | CPI | 92580 |
दानिश अली पिछले साल तब सुर्खियों में आए जब भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने संसद के अंदर अन्य बातों के अलावा उन्हें “आतंकवादी” कहा था। इस घटना के बाद काफी हंगामा हुआ था। यहां तक की राहुल गांधी ने दानिश अली से मुलाकात की थी। राहुल की मुलाकात के बाद यह साफ हो गया था कि दानिश बसपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, हालांकि हुआ भी वैसा। दानिश बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं भाजपा ने बिधूड़ी का टिकट काट दिया।
दानिश अली ने कहा, ‘अमरोहा के लोगों ने देखा कि संसद में मेरे साथ क्या हुआ। मैं गांधीवादी, अंबेडकरवादी और समाजवादी व्यक्ति हूं…मैं नकली राष्ट्रवादी नहीं हूं।’
भाजपा द्वारा बिधूड़ी को टिकट नहीं दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर हसनपुर में मुस्लिम मतदाताओं ने कहा कि यह सत्तारूढ़ पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन संसद में अपशब्दों की गूंज जमीनी स्तर पर लोगों के बीच सुनाई देती है, जो कहा गया वह कई स्तरों पर गलत था। हम सभी लोग अली के साथ हैं।
हिंदू त्योहारों के दौरान मांसाहारी भोजन के लेकर अली ने कहा कि देखिए, उन्हें (भाजपा) ध्रुवीकरण करने का कोई मौका नहीं मिल रहा है। लोग इसे समझ चुके हैं और सरकार को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं। पिछले 10 वर्षों में आपके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए आप ऐसे बयान देते हैं। उन्होंने कहा कि कौन क्या खाता है, क्या पीता है, क्या हमारी लड़कियां जींस या स्कर्ट पहनती हैं, या अपना सिर ढकती हैं। उन्हें अपनी इच्छानुसार रहने की आज़ादी है। यह कोई प्रासंगिक मुद्दा भी नहीं है। प्रासंगिक मुद्दा यह है कि क्या किसानों की आय दोगुनी हो गई है? अली ने कहा, हमारी सोच यह है कि कोई क्या खाना या पहनना चाहता है, यह उसकी आजादी है।
बसपा ने अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिया था और वह बाद में इस साल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसको लेकर अली ने कहा कि मायावती मुझसे नाराज नहीं हैं… हम अपनी विचारधारा के साथ दृढ़ विश्वास के साथ हैं और बीजेपी को केवल इंडिया ब्लॉक द्वारा ही हराया जा सकता है और हमने कोशिश की थी कि मायावती हमारे साथ आएं और विपक्ष एकजुट हो।
उन्होंने कहा कि अमरोहा में उनका एजेंडा राहुल गांधी जैसा ही है। देश में किसानों, युवाओं और महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए। इसको लेकर राहुल गांधी ने देश में दो यात्राएं निकाली हैं।
दानिश अली ने कहा कि आज समाज के सभी वर्ग परेशान हैं। युवाओं को नौकरी चाहिए। सबने देखा है कि जब युवा नौकरी मांगने लखनऊ गये तो उन्हें लाठियों से पीटा गया। सरकार पेपर लीक कराती है क्योंकि वह नौकरियां नहीं देना चाहती।
अली ने दावा करते हुए कहा कि बसपा का मुस्लिम उम्मीदवार वोटों का बंटवारा नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा, ”मुझे बड़ी संख्या में एससी वोट मिल रहे हैं…सभी समुदाय मुझे वोट दे रहे हैं।
दानिश अली ने अपने बीजेपी उम्मीदवार को चैलेंजर की भूमिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कुंवर तंवर को बहुत पैसे वाला बड़ा व्यवसायी कहा। अली ने कहा कि उन्हें अपने व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तंवर का अमरोहा के बाहरी इलाके में एक बड़ा फार्महाउस है, जिसमें एक हेलीपैड भी है। लोगों ने उन्हें हराने से पहले उनका पांच का साल कार्यकाल भी देखा है। उन्हें अपना व्यवसाय करना चाहिए।
कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा कि 2014-19 में तंवर के कार्यकाल की तुलना में अमरोहा के लोगों ने देखा है कि उन्होंने संसद में उनकी समस्याओं को कैसे उठाया। उन्होंने कहा कि यह सीट बदनाम रही है कि कोई भी पैसे वाला व्यक्ति यहां आता है और जीत कर चला जाता है। मैंने लोगों के समर्थन से इस मिथक को तोड़ा और इस मिथक को फिर से तोड़ूंगा… पैसे वाले और व्यवसायी लोग लोगों की सेवा नहीं कर सकते, क्योंकि वे अपने व्यवसाय में व्यस्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि ऊंची जातियां भी इस बार बीजेपी के खिलाफ हैं।
हालांकि, अमरोहा में भाजपा खेमा जीत के प्रति आश्वस्त है, जो बताता है कि राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व अभी तक अली के लिए प्रचार करने नहीं आए हैं।
कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे शुक्रवार को हसनपुर में अली की एक रैली में मौजूद थे और स्थानीय समाजवादी पार्टी विधायक ने इसका आयोजन किया था। पांडे ने भीड़ को आश्वासन दिया, “बहुत जल्द, आपके पास राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यहां प्रचार करेंगे। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के दूसरे दौर में 26 अप्रैल को अमरोहा में मतदान होगा।