केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने प्रारंभिक जांच में पाया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) ने कथित तौर पर ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र की।
सीबीआइ ने इस मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की है। पहले बताया था कि उपराज्यपाल ने सीबीआई की इस सिफारिश को गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति को भेज दिया है। भाजपा की दिल्ली इकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ‘फीडबैक यूनिट’ से पत्रकार, कारोबारी और वरिष्ठ अधिकारी कोई भी अछूता नहीं रहा।
‘आप’ सरकार जैसे काम कर रही है, उस हिसाब से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों सलाखों के पीछे होंगे। सचदेवा ने इसे ‘बहुत गंभीर’ मामला बताते हुए कहा कि भाजपा तब तक संघर्ष जारी रखेगी, जब तक केजरीवाल और सिसोदिया जेल नहीं चले जाते। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि आबकारी ‘घोटाले’ के बाद एफबीयू ‘जासूसी’ मामले ने सिसोदिया को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है।
‘भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बहाने किया खेल’
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 28 अक्तूूबर 2015 को भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बहाने राजनीतिक जासूसी कराने के लिए फीडबैक यूनिट को सिर्फ कैबिनेट प्रस्ताव पर गठित करके संवैधानिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया। कांग्रेस की मांग है कि इन मामलों में मुख्यमंत्री को मुख्य आरोपी बनाकर उपराज्यपाल निर्देश देकर सीबीआइ से जांच कराएं।
दिल्ली सरकार ने इसके लिए नियमों को नजरअंदाज करके गोपनीय सेवा खर्च (सीक्रेट सर्विस एक्पेंडिचर) के तहत एक करोड़ रुपए आवंटन किए जो भ्रष्टाचार के तहत कार्यवाही है।अनिल कुमार ने कहा कि मामले में जब उपराज्यपाल ने सीबीआइ को भ्रष्टाचार निरोधक कानून, अपराधिक षड़यंत्र रचने और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज करके जांच करने की मंजूरी दे दी है।
सीबीआइ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदया सहित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच करें। फीडबैक यूनिट की प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए 2016 में विजिलेंस विभाग के तत्कालीन सचिव अश्विनी कुमार ने इसे तुरंत बंद करने की सिफारिश की थी, जिसमें भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। जासूसी कराने के आरोपों को सिरे से नकार कर झूठा बताकर आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल आरोपों से बच नहीं सकते, क्योंकि सीबीआइ को फीडबैक यूनिट ने जो जानकारी सौंपी है उसमें राजनीतिक, खुफिया, विविध गोपनीय जानकारियां हैं, जिनके तहत सीबीआइ ने दिल्ली सरकार के सर्तकता विभाग के एक संदर्भ पर प्राथमिक जांच दर्ज की है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और नियमों को ताक पर रख काम करने के आरोप पहले भी लगे हैं। अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी में भ्रष्टाचारी नेताओं के संरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं। केजरीवाल सरकार एफबीयू के द्वारा विपक्षी नेताओं, उपराज्यपाल, न्यायाधीशों, मीडिया और व्यापारियों पर अपनी नजर रखना चाहती थी।
इसने जो 700 रिपोर्ट सरकार को सौंपी हैं वह किस संबंध में हैं, जबकि यह आरोप है कि इनमें 60 फीसदी मामले सियासी हैं, जिनकी जांच के लिए उप राज्यपाल ने प्रस्ताव गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भिजवा दिया है। वहीं दिल्ली कांग्रेस ने मांग उठाई है कि फीडबैक यूनिट मामले पर केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज हो।
सिसोदिया ने आरोपों को झूठा करार दिया
‘आप’ के वरिष्ठ नेता व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा वाले मेरे खिलाफ नया आरोप लाए हैं कि मैं 2015 से इनकी जासूसी करवा रहा हूं। सिसोदिया ने ट्वीट कर तंस कसा। उन्होंने ट्वीट में कहा कि इतने बड़े-बड़े लोग, जिनका अस्तित्व ही ईडी, सीबीआइ, पेगासस से विपक्षी नेताओं के खिलाफ साजिश कराने पर टिका है, अगर इतने बड़े लोग भी मुझसे डर रहे हैं तो लगता है कि अपन भी मोदी के बराबर हो गए हैं यार…। हालांकि इस मसले पर भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने जासूसी कांड में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ट्वीट पर की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि एक पुरानी कहावत है, बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा…।