बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन प्रचंड बहुमत हासिल कर चुका है। इस गठबंधन का नेतृत्व करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। बीजेपी 90 से अधिक सीटों पर बढ़त हासिल किए हुए है। वहीं जेडीयू भी 80 से अधिक सीटों पर लीड कर रही है। बिहार में एनडीए की सरकार होगी इतनी तो तस्वीर लगभग साफ हो गई है और सरकार निर्माण में बीजेपी का अहम रोल होगा यह भी साफ है।

धर्मेंद्र प्रधान का बिहार में कमल खिलाने में अहम योगदान

बिहार का यह चुनाव भले ही मोदी और नीतीश के चेहरे पर लड़ा गया था, लेकिन इस शानदार प्रदर्शन में चुनावी रणनीति तैयार करने वाले चेहरों की भी अहम भूमिका रही। उन चेहरों में सबसे बड़ा नाम है केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का है जिन्होंने बिहार का चुनाव जीतने में अहम रोल निभाया। दरअसल, धर्मेंद्र प्रधान को दिसंबर में बिहार का प्रभारी बनाया गया था। इससे पहले भी उनका बिहार से गहरा नाता था क्योंकि 2012 में उन्हें बिहार से ही राज्यसभा सदस्य चुना गया था, लेकिन बिहार का प्रभारी बनने के बाद उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने का काम किया और उनकी मेहनत आज रंग लाई।

नीतीश कुमार के साथ संबंध किए मजबूत

धर्मेंद्र प्रधान लंबे समय से बिहार में वहां की राजनीति और बीजेपी संगठन से गहराई से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने पार्टी के अंदर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई और संगठन को मजबूत बनाने में योगदान दिया। राज्यसभा के जरिए बिहार से जुड़ने के कारण धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच निजी संबंध भी मजबूत हो गए।

ओबीसी होने का फायदा भी मिला

धर्मेंद्र प्रधान ओबीसी समुदाय से आते हैं। यह वही वर्ग है (यादव समुदाय को छोड़कर), जिसे लंबे अर्से से नीतीश कुमार का मुख्य वोट बैंक माना जाता रहा है। यही कारण है कि उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि बीजेपी और जेडीयू के बीच तालमेल को और मजबूत करने का काम, जिसका परिणाम आज सबके सामने है।

बीजेपी के ‘नए चाणक्य’ बने धर्मेंद्र प्रधान

बीजेपी के चाणक्य के रूप में अमित शाह का नाम सबसे पहले आता है, लेकिन अब धर्मेंद्र प्रधान ‘नए’ चाणक्य के रूप में सामने आए हैं। उनके पिछले रिकॉर्ड को देखें तो उन्हें जहां-जहां भी संगठनात्मक कामकाज की जिम्मेदारी दी गई है वहां पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है और उस जगह पर कमल खिला है। यहां देखिए धर्मेंद्र प्रधान का पिछला रिकॉर्ड-:

धर्मेंद्र प्रधान को सबसे पहले 2021 में पश्चिम बंगाल में सिर्फ नंदीग्राम सीट की जिम्मेदारी दी गई थी, जहां ममता बनर्जी को हार का मुंह देखना पड़ा था।

इसके बाद 2017 में उत्तराखंड और 2022 में यूपी की जिम्मेदारी उन्हें दी गई। दोनों ही जगहों पर बीजेपी की मजबूत वापसी हुई।

साल 2024 में ओडिशा में भी धर्मेंद्र प्रधान का कामकाज दिखा। वहां बीजेपी ने पहली बार बीजू जनता दल को हराकर अपनी सरकार बनाई। उस जीत में भी धर्मेंद्र प्रधान की रणनीति की अहम भूमिका थी। ओडिशा में सालों से धर्मेंद्र प्रधान पार्टी के लिए मेहनत कर रहे थे।

2024 में ही हरियाणा के अंदर सत्ता विरोधी लहर होने के बाद भी बीजेपी ने जीत दर्ज की। धर्मेंद्र प्रधान को उस वक्त हरियाणा में चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके कामकाज की ही बदौलत हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी ने जीत दर्ज की और सरकार बनाई। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत हासिल की थी।