बीजेपी की फायरब्रांड लीडर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा है कि लॉटरी और सट्टा हमेशा गलत नहीं होते हैं। कई तरह की लॉटरी से जनकल्याण भी होता है। उन्होंने कहा कि इसको वैधानिक करने और शुरू करने की अनुमति देने से समाज को लाभ भी होगा। कहा कि अभी कोरोना महामारी के समय में जब देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है तब इसे शुरू करने से उसे पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। मंगलवार को एक कार्यक्रम में जब पत्रकारों ने उनसे शिवराज सरकार के इस फैसले के बारे में पूछा तब उन्होंने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि सरकार के निर्णय में मैं भी उनके साथ हूं। सरकार की नीतियां ऐसी हैं, जिसमें समाज का लाभ हो। बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 23 अगस्त को गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें सट्टा और लॉटरी की अनुमति दी है। इससे पहले 23 अगस्त 2021 को मप्र सरकार की ओर से जारी गजट नोटिफिकेशन में लॉटरी और सट्टा की अनुमति दी है। लॉटरी (विनियमन) अधिनियम 1998 (1998 का 17) के अधीन और सार्वजनिक द्यूत अधिनियम 1867 (1867 का 3) के अधीन यह छूट दी गई है।

हालांकि सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी। कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसकी निंदा की थी। नोटिफिकेशन जारी होते है ही कांग्रेस ने कहा था कि “मप्र में भाजपा की शिवराज सरकार नवाचार की बात करती है, लेकिन रेवेन्यू बढ़ाने के लिए जुए और सट्टे के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब देखना होगा कि यह सरकार किस तरह से नैतिक मूल्यों की रक्षा करेगी।”

पार्टी प्रवक्ता केके मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि “नई संस्कृति, नवाचार, पार्टी विथ डिफरेंस, हेडगेवार सावरकर, गोलवलकर और दीनदयाल सभी को एक साथ नमन, बन गया मप्र आत्मनिर्भर।”

ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ भाजपा की सरकार ही कर रही है। मध्य प्रदेश में ही जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब उन्होंने खजुराहो में कैसीनो खेले जाने की शुरुआत की थी, लेकिन तब भाजपा समेत कई दलों ने इसकी जोरदार आलोचना की थी। इसकी वजह से यह आगे नहीं बढ़ सकी थी। दूसरी तरफ राज्य में अवैध सट्टा बाजार को रोकने के लिए सुंदर लाल पटवा की तत्कालीन भाजपा सरकार ने मार्च 1990 से दिसंबर 1992 तक लॉटरी शुरू की थी। उन्होंने भी इसकी घोर निंदा देखकर अपने कदम पीछे खींच लिए थे और अध्यादेश लाकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।