भाजपा के पूर्व बागी विधायक और कांग्रेस नेता भीमलाल आर्य ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए मुख्यमंत्री आवास के बाहर बेमियादी धरने पर बैठ गए हैं। उन्होंने रावत पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। आर्य ने राज्य अवस्थापना व औद्योगिक विकास परिषद के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वे भीमलाल आर्य को समझाने का प्रयास करेंगे। धरने पर बैठने के दौरान पत्रकारों से बातचीत में आर्य भावुक हो गए और फूट-फूटकर रो पडेÞ। उन्होंने कहा कि जिस हरीश रावत को पिता तुल्य मानकर उन्होंने कुर्बानी दी थी, वही अब मेरा उत्पीड़न कर रहे हैं। आर्य ने कहा- उन्होंने भाजपा का 50 करोड़ का आफर ठुकराकर 10 मई को रावत के पक्ष में मत दिया था। आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके साथ धोखा किया है। मैंने रावत का राजनीतिक संकट के समय अपनी विधायकी की भी परवाह न करते हुए साथ दिया। लेकिन मुझे आज तक कांग्रेस का सदस्य तक नहीं बनाया गया। मुझे अब लगता है कि मैंने भावनाओं में बहकर भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने का गलत फैसला किया था। इस पर मुझे अफसोस है।
भीमलाल आर्य के इस्तीफे और धरने पर बैठने से सूबे की राजनीति में बवाल खड़ा हो गया है। इससे रावत की राजनीतिक मुश्किलें और बढ़ गई हैं। आर्य ने कहा कि सियासी संकट के समय रावत ने मेरी खूब मिन्नत की। अब मतलब निकलने पर मुझे नींबू की तरह निचोड़ कर फेंक दिया। उन्होंने कहा- मुख्यमंत्री ने मेरे से घनसाली विधानसभा क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने का वादा किया था। लेकिन डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीतने पर भी मेरे क्षेत्र में झांका तक नहीं। मुझे अवस्थापना और औद्योगिक विकास परिषद का झुनझुना थमा दिया गया जिसका मुझे न कभी दफ्तर मिला न स्टाफ। मैंने जब भी उनसे किसी अन्य विभाग में पद देने की बात कही तो रावत ने मेरी बात अनसुनी कर मेरा अपमान किया।
मुख्यमंत्री रावत और आर्य के बीच चल रहे विवाद को लेकर विपक्ष के नेता और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि आर्य को रावत की असलियत का जल्दी पता चल गया है। रावत मतलबपरस्त हैं। उन्होंने मतलब निकलने पर आर्य को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। भीमलाल आर्य ने भाजपा से बगावत कर मुख्यमंत्री हरीश रावत का खुलेआम साथ दिया था। दस मई को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान भाजपा विधायक होते हुए आर्य ने विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान रावत के पक्ष में मतदान किया था। इससे उनकी विधायकी छिन गई थी। अब आर्य के मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठने से हरीश रावत को करारा झटका लगा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि कुछ दिन पहले भीमलाल आर्य ने संगठन स्तर पर उनसे कुछ समस्याएं बताई थीं, जो उन्होंने मुख्यमंत्री को बता दी थीं। मुख्यमंत्री और आर्य के बीच क्या बातें हुईं, इस बारे में उन्हें कुछ नहीं पता।