मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के सभी सात विधानसभा में जीत के लिए राजग ने घेरेबंदी की हैं। पिछले चुनाव में पहली बार वर्ष 2005 के बाद राजद इस्लामपुर सीट पर सेंध लगाने में कामयाब हो पाया था। वहीं हिलसा सीट को जदयू महज 12 मत के अंतर से राजद से छीन पाया था। जबकि अन्य पांच सीटों पर भी जीत का अधिकतम अंतर 27 हजार के करीब रहा था।
राजग नेताओं की मानें तो इस जिले के सभी सीटों को जीतने के लिए खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निगरानी व प्रचार कर रहे हैं, जबकि भाजपा और जदयू के नेताओं ने क्षेत्र में डेरा डाल रखा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार केवल जीतने वाले उम्मीदवार को ही मौका चुनावी मैदान में उतारा गया है। इसमें जदयू की टिकट पर नालंदा से चुनाव लड़ रहे श्रवण कुमार आठवीं बार चुनावी मैदान में हैं।
पिछली बार उन्होंने जनतांत्रिक विकास पार्टी के कौशलेंद्र कुमार को 16,077 मतों से हराया था। वहीं इस्लामपुर में राजद के राकेश कुमार रौशन से जदयू के चंद्रसेन प्रसाद को 3698 मतों से मिली हार के बाद राजग उम्मीदवार बदलकर रुहैल रंजन को मौका दिया है। 2005 के बाद 2020 के चुनाव में जदयू को यहां हार मिली थी।
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हरनौत रही है नीतीश कुमार की कर्मभूमि
हरनौत, जो खुद नीतीश कुमार की राजनीतिक कर्मभूमि रही है। इस सीट पर हरि नारायण सिंह ने 27241 वोट से जीत दर्ज की थी। वे चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। हरनौत सीट से पहली बार वर्ष 1985 में नीतीश कुमार लोकदल के टिकट पर विधायक बने थे। वर्ष 1995 में दूसरी बार समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। राजगीर (एससी) से कौशल किशोर ने कांग्रेस के रवि ज्योति कुमार को 16,048 वोटों से हराया था। इस बार उनका मुकाबला भाकपा (माले) के उम्मीदवार से है।
बिहारशरीफ पर 2005 से एनडीए का कब्जा
बिहारशरीफ में साल 2005 से राजग का कब्जा है। इस बार यह सीट भाजपा के खाते में हैं। पिछली बार इस सीट पर सुनील कुमार ने 15,102 वोटों से जीत दर्ज की। वह छठीं बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार से है।
अस्थावां सीट भी वर्ष 2005 से जदयू के पास है। इस सीट पर जितेंद्र कुमार ने पिछली बार 11600 वोटों से जीत दर्ज की थी। छठीं बार वह फिर से मैदान में हैं और उनका मुकाबला राजद के रवि रंजन कुमार से है। इस जीते के हिलसा सीट पर जदयू के कृष्ण मुरारी शरण ने राजद के शक्ति सिंह यादव से 12 मतों के अंतर पर सीट छिनी थी। इस बार शरण फिर से चुनावी मैदान में हैं।
बीजेपी ने बनाई है खास रणनीति
नालंदा जिले में जीत के लिए भाजपा ने बिहार के अपने सभी सांसदों के अलावा दूसरे प्रदेश के मुख्यमंत्री व भाजपा पदाधिकारी को प्रचार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। अगले पांच दिनों तक वह तय कार्यक्रम के तहत प्रचार करेंगे। इसके अलावा जदयू ने अपने सांसदों के अलावा स्थानीय नेताओं को मौजूदा उम्मीदवार के साथ बूथ स्तर पर प्रचार के साथ क्षेत्र में डेरा डालकर प्रचार करने का निर्देश दिया है। इस जिले में चार नवंबर को प्रचार खत्म हो जाएगा। बुधवार को मुख्यमंत्री ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ जिले के सभी विधानसभा के लिए प्रचार किया।
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