बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग को लेकर मंगलवार को बिहार विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव को कैबिनेट से हटाने की मांग की। बिहार विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र में सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू हुई लेकिन सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने सदस्यों को शांत कराने की कोशिश की। उन्होंने सदस्यों से कहा कि आप प्रश्न काल का समय बर्बाद कर रहे हैं। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इस दौरान विधानसभा महज 10 मिनट ही चल पाई।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी जनप्रतिनिधि के खिलाफ अगर चार्जशीट दाखिल है तो वह मंत्री नहीं रह सकता है। उन्होने कहा कि बिहार में यह परंपरा रही है कि जिस मंत्री के खिलाफ भी केस हुआ है वो अपना पद छोड़ देता है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बाकी कई मंत्रियों को पद से सिर्फ उनके खिलाफ एफआईआर होने पर हटा दिया गया था जबकि तेजस्वी यादव के ऊपर तो चार्जशीट दाखिल की गई है। यह बिलकुल अनैतिक है कि एक भ्रष्ट नेता को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यह जनता के साथ धोखा है और हम इसको बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। सदन के अंदर और सदन के बाहर हम सरकार को मजबूर करेंगे की ऐसे भ्रष्ट मंत्री को पद से हटाया जाए।
क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ लैंड फॉर जॉब मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई है। चार्जशीट में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी यादव का भी नाम शामिल है। आपको बता दें कि पहली चार्जशीट 2017 में दर्ज की गई थी और अब सीबीआई ने नई चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने रेल विभाग में नौकरी देने के बदले प्रॉपर्टी की मांग की। इस जमीन और प्रॉपर्टी को गिफ्ट के रूप में लेते थे या सस्ती दरों पर महंगी जमीन को खरीद लिया जाता था। लैंड फॉर जॉब केस में लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव के साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तत्कालीन रेलवे जीएम समेत कुल 17 लोगों के खिलाफ दूसरी चार्जशीट दाखिल की गई है। जब यह कथित घोटाला हुआ था तब तेजस्वी यादव नाबालिग थे।