Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। 71 उम्मीदवारों की पहली सूची में बीजेपी ने युवा उम्मीदवारों पर जताया भरोसा दिखाया है। वहीं, 10 मौजूदा विधायकों का टिकट भी काटा है। इनमें से पांच मंत्री भी रहे हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान, अमरेंद्र सिंह, रामसूरत राय जैसे बड़े नेता शामिल हैं।
भाजपा ने रीगा से मोतीलाल प्रसाद की जगह बैद्यनाथ प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। मोतीलाल प्रसाद बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। मुंगेर से विधायक प्रणव कुमार का टिकट काटकर पार्टी ने कुमार प्रणय को कैंडिडेट बनाया है।
बीजेपी ने सीतामढ़ी से मिथिलेश कुमार की जगह सुनील पिंटू को उम्मीदवार बनाया है। सुनील पिंटू पहले भाजपा में थे, 2019 के चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े सांसद बने। इस बार उनका लोकसभा का टिकट कट गया, लेकिन पार्टी ने अब उन्हें विधानसभा का टिकट दिया है।
पार्टी ने राजनगर सुरक्षित सीट से पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान की जगह सुजीत पासवान को प्रत्याशी बनाया है। नरपतगंज से पार्टी ने वर्तमान विधायक जयप्रकाश यादव का टिकट काटकर देवयंती यादव को मैदान में उतारा है। औराई सीट से पार्टी ने पूर्व मंत्री रामसूरत राय का टिकट काटकर रमा निषाद को प्रत्याशी बनाया है। राम निषाद पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी है। अजय निषाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।
भाजपा ने कटोरिया सुरक्षित सीट से निक्की हेंब्रम का टिकट काटकर पूरनलाल टुडू को प्रत्याशी बनाया है। कुम्हरार विधानसभा सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक अरुण सिन्हा का टिकट काटकर संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। अरुण सिन्हा बीते 20 साल से विधायक थे। उनकी जगह पार्टी ने अब युवा उम्मीदवार उतारा है।
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वहीं, पटना साहिब सीट से पार्टी ने मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का टिकट काटकर रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। नंदकिशोर यादव पिछले 30 साल से विधायक थे। आरा सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक अमरेंद्र सिंह का टिकट काटकर पूर्व विधायक संजय टाइगर को उम्मीदवार बनाया है। अमरेंद्र सिंह 78 साल के हैं। वे मंत्री भी रहे हैं।
बता दें, रविवार को, सत्तारूढ़ एनडीए ने 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए सीटों के बंटवारे की घोषणा की थी। जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। बाकी सीटें छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ दीं हैं।
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