दिल्ली सरकार में 21 संसदीय सचिवों के मुद्दे पर भाजपा और आप के बीच लड़ाई तेज हो गई। दोनों ओर से जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी दिल्ली विधानसभा को काम नहीं करने दे रही। इसके बाद भाजपा की ओर से जवाब देने संबित पात्रा उतरे। उन्होंने कहा कि बिल को नामंजूर राष्ट्रपति ने किया है। इसमें मोदी सरकार का क्या लेना देना। केजरीवाल सुबह उठते हैं तो मोदी का नाम लेते हैं। फिर दोपहर में भी मोदी-मोदी और रात में मोदी का नाम लेकर सोते हैं।
संबित पात्रा ने कहा, ”राष्ट्रपति और चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्थान है और दोनों की महान विश्वसनीयता है। आपकी कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति दफ्तर की छवि तो मत खराब करो। यह मामला भाजपा का नहीं है। हमें इससे कोई लेना देना नहीं है।” इसके बाद आप की ओर से जवाब देने के लिए संजय सिंह, आशुतोष और राघव चड्ढा उतरे। इन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस यह कहकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं कि दिल्ली में 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होगी और फिर से चुनाव होंगे।
अरविंद केजरीवाल का हमला- हार नहीं पचा पा रहे इसलिए दिल्ली के पीछे पड़े हैं नरेंद्र मोदी
उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने विधायकों को लाभ का पद नहीं दिया। अफवाहें चल रही है कि राष्ट्रपति ने बिल को खारिज कर दिया। यह बिल मोदी सरकार ने खारिज करके भेजा था। अगर राष्ट्रपति बिल नामंजूर करते तो अरुणाचल और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन केंद्र सरकार ने नहीं राष्ट्रपति ने लगाया। केंद्र का फैसला मानना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होता है। पंजाब में भाजपा के 5 और अकाली दल के 19 विधायक संसदीय सचिव हैं। नागालैंड में 24, गुजरात-राजस्थान में 5-5, हिमाचल प्रदेश में 6 संसदीय सचिव है। पूरे देश में संसदीय सचिव वैध हैं तो दिल्ली ही अवैध क्यों।
आप नेताओं ने कहा कि मोदीजी दिल्ली की हार का बदला ले रहे हैं। हमने 23 बिल पास किए। 19 बिल एक साल से पड़े हुए हैं। दिल्ली की विधानसभा को पंगु बना दिया है। मोदीजी आधे समय देश से बाहर रहते हैं, वापस आते हैं तो यही सोचते हैं कि अरविंद को कैसे बर्बाद करना है। दिल्ली सरकार उनकी आंखों की किरकिरी बनी हुई है।
21 आप विधायकों के मुद्दे पर केजरीवाल ने मोदी सरकार को घेरा तो टि्वटर पर ऐसे उड़ा मजाक