बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार (2 नवंबर) को करीब 300 ट्रेनी महिला सिपाहियों ने अपने वरिष्ठ पुरुष अफसरों और कुछ स्थानीय पत्रकारों की पिटाई की। शुक्रवार को जैसे ही साथी सिपाही की मौत की खबर पुलिस लाइन पहुंची, महिला सिपाहियों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अधिकारियों के वाहनो को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और उसे पलट दिया गया। इनका गुस्सा पुलिस लाइन के डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन के खिलाफ ज्यादा था। मगर इन रंगरूटों के हत्थे इनके समेत इनसे बड़े अधिकारी भी चढ़े। पुलिस अधीक्षक स्तर के दो अधिकारी और एक सार्जेंट मेजर सह पुलिस उपाधीक्षक को निशाना बनाया गया। महिला सिपाही डीएसपी रैंक के अधिकारी और पुलिस लाइन के सीनियर अधिकारी मोहम्मद मसलेहउद्दीन (तत्कालिन ड्यूटी रोस्टर इंचार्ज) की जान लेने पर आमादा थी।
कथित तौर पर महिला सिपाहियों ने ऑफिस में लगे सीसीटीवी कैमरे और अन्य सामानों को तोड़ दिया। प्रशिक्षु महिला कॉन्स्टेबलों ने कथित तौर पर कम से कम चार संवाददाताओं और कैमरामैन पर भी हमला किया, जो इस घटना को कवर करने आए थे। घटना के दौरान पटना सिटी पुलिस अधीक्षक (एसपी) डी अमरकेश और पटना ग्रामीण एसपी मनोज कुमार को भी काफी विरोध का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज को जूनियरों ने पुलिस लाइन में प्रवेश करने से रोक दिया गया। बाद में उन्होंने पुलिस लाइन में प्रवेश किया। महिला सिपाहियों के आगे किसी की एक न चली। एसटीएफ, एटीएस और बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) के जवानों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बुलाया गया ।
यह घटना तब हुई जब डेंगू की वजह से निजी अस्पताल में इलाजरत एक महिला सिपाही की शुक्रवार को मौत हो गई। साथी की मौत की खबर मिलने के बाद महिला सिपाही उग्र हो गई और जमकर बवाल काटा। महिला सिपाहियों ने आरोप लगाया कि साथी सिपाही सविता कुमारी पाठक को डेंगू से ग्रस्त होने के बाबजूद छुट्टी नहीं दी गई। तबीयत खराब की हालत में भी ड्यूटी करने को मजबूर किया गया। इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं और साथ ही पुलिस लाइन में तैनात ड्यूटी रोस्टर इनचार्ज को निलंबित कर दिया गया है। बता दें कि करीब 900 ट्रेनी सिपाहियों में 300 महिलाओं की संख्या है। वे सभी पटना में ट्रेनिंग ले रहे हैं। ट्रेनी सिपाहियों के अनुसार, 10 दिनों तक किसी तरह उन्हें थोड़ी बहुत ट्रेनिंग दी गई और फिर पेट्रोलिंग, यातायात प्रबंधन और वीआईपी कार्यक्रम को संभालने में लगा दिया गया।
जारी हुआ नया फरमान: बबाल के बाद 1064 पुरुष रंगरूटों को फौरन भागलपुर के नाथनगर प्रशिक्षण विद्यालय में योगदान करने का फरमान जारी हुआ है। पहले के आदेश को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले जारी आदेश में नए बहाल सिपाहियों में से 314 को बिहार के दरभंगा पुलिस केंद्र और पूर्व के अप्रशिक्षित 750 रंगरूटों ( प्रशिक्षु सिपाहियों ) को कटिहार, मुंगेर और जमुई पुलिस केंद्रों पर बुनियादी प्रशिक्षण के वास्ते योगदान करना था।
इस आदेश को रद्दोबदल करते हुए नए आदेश पर अमल करने को कहा गया है। यह फरमान पुलिस महानिदेशक ( प्रशिक्षण ) ने अपने पत्रांक 1816 दिनांक 2 नवंबर 2018 के जरिए जारी किया है। जिसकी प्रतिलिपि अपर पुलिस महानिदेशक ( मुख्यालय ) , आईजी व डीआईजी भागलपुर समेत संबंधित एसएसपी, एसपी और नाथनगर पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय के प्राचार्य को जरूरी कार्रवाई के लिए भेजी है। पत्र में साफ लिखा है कि दो नवंबर को उत्पन्न विधि व्यवस्था की समस्या के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने यह फैसला किया है।

