Bihar Election 2025: मैथिली ठाकुर लगभग एक दशक से मिथिलांचल की कहानियां और गीत गा रही हैं और डिजिटल युग में इसकी सबसे चर्चित आवाजों में से एक बन गई हैं। अब मैथिली ठाकुर दरभंगा के अलीनगर से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में बिहार के चुनावी मैदान में सबसे कम उम्र की उम्मीदवारों में शामिल होने के लिए तैयार हैं।

मंगलवार को पटना में मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गईं। उन्होंने एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित होने और जनता की सेवा करने की इच्छा के बारे में बात की। अपने एजेंडे के बारे में उन्होंने कहा कि वह ठीक वही करेंगी जो पार्टी मुझे करने का आदेश देगी और पार्टी की विचारधारा को सभी तक पहुंचाएंगी।

अलीनगर सीट पर 2020 में विकासशील इंसान पार्टी के मिश्री लाल यादव ने आरजेडी के विनोद मिश्रा को मामूली अंतर से हराया था। बाद में बीजेपी में शामिल हुए यादव को इस साल मई में एक मारपीट मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अक्टूबर में यादव ने बीजेपी को दलित विरोधी बताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

अपनी प्रस्तुतियों के लिए मशहूर हैं मैथिली ठाकुर

उत्तर और मध्य भारत, खासकर बिहार और उसके आसपास, ठाकुर अपनी प्रस्तुतियों के लिए घर-घर में मशहूर हैं। वह पारंपरिक सोहर, भोजपुरी गीत, राम-सीता विवाह गीत, भजन, छठ गीत, होरी, चैती, गजल और सूफी गीत गाने के लिए जानी जाती हैं और अक्सर उनके भाई रिशव और अयाची भी उनके साथ होते हैं।

फेसबुक और इंस्टांग्राम पर 14 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स

अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन के दौरान यूट्यूब पर जारी किए गए उनके राम भजन वीडियो के कारण भी ठाकुर की लोकप्रियता में भारी बढ़ोतरी हुई है। अब यूट्यूब पर उनके पांच मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। इंस्टाग्राम पर छह मिलियन से ज्यादा और फेसबुक पर 14 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यह एक ऐसी अपील है, जो जाति और समुदाय से परे है और बीजेपी इसे और आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। जबकि राजनीति में कई भोजपुरी संगीत और फिल्म सितारे हैं। खास तौर पर बिहार में ठाकुर अपनी लोक जड़ों से जुड़े रहने में अलग हैं। इससे वे क्षेत्रीय गौरव का प्रतीक बन गई हैं।

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ठाकुर अपने पैतृक घर में अपनी दादी द्वारा गुनगुनाए गए लोक संगीत को सुनते हुए बड़ी हुईं। लेकिन उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत अपने पिता रमेश ठाकुर से सीखा। शुरुआती दिनों में परिवार द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में, ठाकुर और उनके दो भाई दिल्ली स्थित अपने घर में अपनी जीती हुई ट्रॉफियों, एक हारमोनियम और एक तबले के साथ, अपने बिस्तर पर बैठी दिखाई दे रहे हैं। वहां पर रिकॉर्ड करने के लिए कोई खास इक्विपमेंट नहीं है, ऑटो ट्यूनर या स्टूडियो नहीं था।

ठाकुर ने 2018 में इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि इन वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का विचार उनके पिता का था। उन्होंने कहा, “हम चाहते थे कि लोग भोजपुरी लोकगीतों की खूबसूरत दुनिया को सुनें, जो मधुर हो और जिसके बोल भी लाजवाब हों। ये ठेठ भोजपुरी है। इसे सुनना भी जरूरी है।” उन्हें 2023 में मधुबनी के लिए चुनाव आयोग द्वारा अपना ब्रांड एंबेसडर चुना गया। साल 2024 में मोदी सरकार ने उन्हें वर्ष के सांस्कृतिक राजदूत पुरस्कार के लिए चुना।

कौन हैं मैथिली ठाकुर?

ठाकुर का जन्म मधुबनी के बेनीपट्टी के उरेन में हुआ था। आठ साल की उम्र में वह दिल्ली आ गईं। उन्होंने रमेश से म्यूजिक सीखा। वह एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाते थे और घर पर ट्यूशन भी देते थे। एएनआई को दिए एक हालिया इंटरव्यू में, रमेश ने दिल्ली जाने की अपनी कोशिश को बिहार में चल रहे पिछड़ी जाति आंदोलन से जोड़ा, जिसने उन जैसी ऊंची जातियों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने आगे कहा, “ब्राह्मणों पर हमले हुए और हमारी खेती की जमीनें जब्त कर ली गईं।”

रमेश अपने बच्चों के साथ सख्त थे। ठाकुर अक्सर कहती थीं, सुबह-सुबह अनुशासन और रियाज अनिवार्य था। लेकिन बेनीपट्टी में पली-बढ़ी और फिर अपना शुरुआती जीवन भाषा, लोकगीतों और गीतों के बीच बिताने के कारण, ठाकुर ने जल्दी ही शास्त्रीय संगीत की तकनीकी बारीकियों को लोक संगीत के साथ मिला दिया।

दिल्ली के बाल भारती इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला लेने और भारती कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाली ठाकुर ने 2015 में इंडियन आइडल जूनियर शो में हिस्सा लिया था, लेकिन दूसरे राउंड में उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। हिम्मत हारकर उन्होंने एक साल बाद ‘आई-जीनियस यंग सिंगिंग स्टार्स’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। इसका इनाम एक एल्बम कॉन्ट्रैक्ट था।

अपने पहले एल्बम के बाद, वह राइजिंग स्टार शो में उपविजेता रहीं, जिसमें दिलजीत दोसांझ, शंकर महादेवन और नीति मोहन जज थे। हालांकि, जिस चीज ने उन्हें सबसे ज्यादा ध्यान दिलाया और जिसके बाद दुनिया भर में उनके कॉन्सर्ट हुए, वह थी उनके पुराने लोकगीतों की प्रस्तुतियां, जिन्हें उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।

मैथिली ठाकुर ने कहा कि उन्होंने बहुत कम दोस्त बनाए। वह अपने परिवार के साथ समय बिताना या अभ्यास करना पसंद करती हैं। उनकी मां भारती ने 2018 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि दिल्ली आने के बाद उन्होंने 17 बार घर बदले। भारती ने कहा, “हम सिर्फ एक कमरे का घर ही खरीद सकते थे, जो ज्यादातर किसी और के घर से जुड़ा होता था। मेरे पति और मेरे बच्चों का रियाज लोगों को परेशान करता था और हमें घर बदलना पड़ता था।” उन्होंने आगे कहा कि जब बच्चे फेमस हो गए, तो लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।” 2017 में परिवार ने एक घर खरीदा और 2020 में एक बड़े अपार्टमेंट में चले गए।