बिहार के सहरसा जिले में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के दौरे के बाद मंदिर को कथित तौर पर धोने की घटना ने गुरुवार को विवाद खड़ा कर दिया। कांग्रेस ने पूछा कि क्या गैर-भाजपा दलों के समर्थकों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाएगा? वहीं भाजपा ने कहा कि यह घटना कन्हैया कुमार की राजनीति को अस्वीकार करती है।
कन्हैया कुमार की चल रही पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा
बता दें कि घटना बनगांव गांव में देवी दुर्गा मंदिर में हुई, जहां कन्हैया कुमार अपनी चल रही पलायन रोको, नौकरी दो (पलायन रोको, रोजगार दो) यात्रा के दौरान गए थे। कन्हैया कुमार ने मंदिर परिसर से ही भाषण दिया था। एक वीडियो (जो वायरल हो गया) में दिखाया गया है कि कन्हैया कुमार के गांव से जाने के तुरंत बाद कुछ लोगों ने कथित तौर पर मंदिर को धोया।
कांग्रेस ने लगाया आरोप
हालांकि कन्हैया कुमार ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम जानना चाहते हैं कि क्या सिर्फ़ आरएसएस और बीजेपी समर्थक ही धार्मिक लोग हैं और बाकी लोग अछूत हैं। इस कृत्य ने भगवान परशुराम के वंशजों का अपमान किया है। क्या हम अति-संस्कृतिकरण के एक नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं जिसमें गैर-बीजेपी दलों और समर्थकों को अछूत माना जाएगा?”
बीजेपी ने किया पलटवार
हालांकि कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा, “सबसे पहले हमें कन्हैया कुमार के दौरे के बाद मंदिर को धोने वालों की पहचान सत्यापित करनी चाहिए। अगर कांग्रेस नेता के दौरे के बाद मंदिर को धोया जाता है, तो यह कन्हैया कुमार की राजनीति के ब्रांड के प्रति अस्वीकृति को दर्शाता है।”
वहीं बगांव गांव के एक निवासी ने कहा कि आमतौर पर सभी जाति समूहों और पृष्ठभूमि के लोगों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होती है। बुजुर्ग निवासी ने कहा, “यह (कुमार के दौरे के बाद मंदिर को धोना) कुछ बदमाशों का काम हो सकता है।” कन्हैया कुमार भूमिहार समुदाय से आतें हैं। कन्हैया कुमार की यात्रा का पहला चरण 16 मार्च को पश्चिम चंपारण से शुरू हुआ था, जो 31 मार्च को किशनगंज में समाप्त होगा।