बिहार के रोहतास में एक बार फिर भ्रष्टाचारियों का बड़ा कारनामा सामने आ गया है, जिससे जिले में ‘विकास’ कहा जा रहा रोपवे ट्रायल के दौरान ही जमीन पर आ गया। शुक्र बस इतना है कि इस हादसे में किसी जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन सरकार का ‘विकास’ आसमान से जमीन पर आ गया।

इस हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और काम कर रहे मजदूर व अधिकारी हक्के-बक्के रह गए।

दूसरे चरण का हो रहा था ट्रायल

अधिकारियों की मानें तो यह रोपवे रोहतास गढ़ किला और रोहितेश्वर धाम मंदिर तक पहुंच को आसान बनाने के लिए बनाया जा रहा था। इसका एक ट्रायल सफल हो चुका था, आज दूसरे चरण का ट्रायल हो रहा था, जो हादसे का शिकार हो गया।

अधिकारियों ने दी ये जानकारी

अधिकारियों ने बताया कि घटना रोहतास प्रखंड से रोहतासगढ़ किला और रोहितेश्वर धाम को जोड़ने वाले रोपवे के ट्रायल के दौरान हुई, जब उससे जुड़ा एक टावर भी क्षतिग्रस्त हो गया। इसमें ट्रायल के दौरान चार ट्रॉलियां क्षतिग्रस्त हो गईं, हालांकि मौके पर मौजूद मजदूरों ने सतर्कता बरतते हुए खुद को बचा लिया। इस घटना के बाद रोपवे निर्माण की गुणवत्ता को लेकर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।

मामले में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के सीनियर इंजीनियर खुर्शीद करीम ने कहा कि रोपवे का ट्रायल चल रहा था। इस दौरान लोड बढ़ाया गया और तभी एक तार फंस गया, जिससे यह गिर गया।” उन्होंने बताया कि अभी काफी काम बचा हुआ है, जिसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है।

‘कोलकाता से आ रही टीम’

सीनियर इंजीनियर खुर्शीद ने कहा, “कोलकाता से एक टीम जांच के लिए आ रही है। जब तक ट्रायल के परिणामों से अधिकारी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाते, तब तक रोपवे सेवा आम जनता के लिए शुरू नहीं की जाएगी।

13.65 करोड़ थी लागत

बताया जा रहा कि नये साल के अवसर पर इसका लोकार्पण होना था, इस रोपवे की लागत में 13.65 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। साल 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका शिलान्यास किया था। स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि रोपवे के शुरू होने से 70 किलोमीटर घुमावदार रास्ते से छुटकारा मिलेगा और रोहतासगढ़ किला पहुंचना थोड़ा आसान हो जाएगा, लेकिन अपने दूसरे चरण के ट्रायल में ही रोपवे धराशाई हो गया।

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