बिहार में सियासी हलचल मची हुई है। माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं। यह लगभग अब तय भी हो चुका है, क्योंकि आरजेडी के मंत्रियों ने कामकाज लगभग खत्म कर दिया है। तेजस्वी यादव ने खुद सारी फाइलें सचिवालय लौटा दी हैं। इस पूरे घटनाक्रम में हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी की मौज आई है।
जीतनराम मांझी के पास 4 विधायक
जीतनराम मांझी के पास चार विधायक हैं। जीतनराम मांझी भी खुद विधायक हैं और उन्होंने एनडीए में बने रहने के लिए अब एक शर्त रख दी है। जीतनराम मांझी ने नई सरकार में दो मंत्री पद की मांग की है। यह संख्या के हिसाब से 50 फीसदी हुआ है।
जीतनराम मांझी ने शनिवार शाम अपने घर पर विधायक दल की बैठक बुलाई और इस बैठक में उन्होंने कहा कि जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, वहीं पर हमारी पार्टी भी है। उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी के साथ हैं लेकिन इसके साथ ही उन्होंने दो मंत्री पद की मांग भी कर दी।
मांझी को मिला है ये ऑफर
जब यह घटनाक्रम शुरू हुआ उसके बाद कांग्रेस ने जीतनराम मांझी से संपर्क कर उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया। बताया जाता है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद जीतनराम मांझी से बात की। लेकिन मांझी एनडीए के साथ बने हुए हैं। इसके पहले खबर थी कि आरजेडी ने भी जीतनराम मांझी से बात की है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने जीतनराम मांझी को उपमुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया और अपने साथ आने को कहा, लेकिन मांझी ने ये ऑफर भी ठुकरा दिया।
बिहार की राजधानी पटना में जीतनराम मांझी के समर्थन में उनके समर्थकों ने पोस्टर भी लगाए हैं। पोस्टर पर लिखा है, “बिहार में बहार है, बिन मांझी सब बेकार है।”
ममता का बड़ा बयान
वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी इस घटनाक्रम को छुटकारा मिलने के तौर पर देखती हैं। शुक्रवार शाम बंगाल के राजभवन में एक मिलन समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें ममता बनर्जी भी शामिल हुईं थीं। टीएमसी के करीबी सूत्र ने टेलीग्राफ को बताया कि जैसे ही उनको नीतीश कुमार की खबर पता चली, उन्होंने कहा कि चलो छुटकारा मिल जाएगा। ममता बनर्जी सोचती हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और इसके कारण इंडिया गठबंधन को बिहार में नुकसान उठाना पड़ सकता है।