बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि मॉब लिंचिंग के दोषियों को बिहार सरकार में नौकरी नहीं मिलेगी। अगर वह पहले से नौकरी कर रहे हैं, तो वह जा सकती है। अगर अभी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हें नहीं मिलेगी। पिछली घटनाओं में अधिकतर की वजह बच्चा चुराने की अफवाहें थीं। पिछले महीने गया निवासी कुछ लोगों को इस शक पर पीटा गया कि वे बच्चों को चुराते हैं। इसी तरह अगस्त में पटना के एक वृद्ध और एक मानसिक रोगी महिला को भीड़ ने मार डाला था।
39 मामलों में अब तक 278 गिरफ्तार: अब तक पटना, सासाराम, जहानाबाद, गया और राज्य के दूसरे शहरों में हिंसा के 39 मामलों में 345 लोगों की पहचान की गई है। पुलिस ने इनमें से 278 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ऐसे मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर जेल भेजने और इस तरह की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए कड़ाई से कदम उठा रही है।
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दोषियों की पहचान पर फोकस: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी विजय कुमार ने कहा कि मॉब लिंचिंग मामलों में हम अक्सर अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करते हैं। अब हम मीडिया और आम लोगों के बनाए वीडियो फुटेज से दोषियों की पहचान करने पर फोकस करेंगे। हम चाहते हैं कि लोग कानून को अपने हाथ में नहीं लें। उन्होंने कहा कि दोषियों की अब सरकारी नौकरी और कांट्रैक्ट जा सकता है।
चार्जशीट और तेजी से सुनवाई पर जोर: हालिया मामलों में करीब दो हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए। कई बार चेतावनी देने के बावजूद लोग बेबुनियाद अफवाहों की वजह से कानून को अपने हाथ में ले लेते हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य की पुलिस ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रख रही है। कहा कि अधिकतर मामलों में चार्जशीट फाइल की जाएगी और तेजी से सुनवाई करवाने का प्रयास करेंगे।
अराजकता के खिलाफ कड़े कदम: चूंकि पहले के 90 फीसदी भीड़ हिंसा के मामलों में किसी को भी दोषी नहीं साबित किया जा सकता है। अब यह जरूरी हो गया है कि अधिक से अधिक वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाया जाए और अभियुक्त की पहचान की जा सके। हमें और अधिक कड़े कदम उठाने होंगे, जिससे अराजकता फैलाने वाले लोगों में डर पैदा हो।