बिहार में बाढ़ हर साल ही कहर बरपाती है और फिर प्रशासन की पोल पट्टी खुल जाती है। बिहार के कई जिले इन दिनों विभीषिका की चपेट में हैं और खासकर ग्रामीण आबादी भारी संकट का सामना कर रही है। मोतिहारी जिले में एक तीन माह की मासूम की जान इसी बाढ़ की वजह से चली गई। उसे इलाज के लिए समय पर नाव ही नहीं मिल पाई।

जानकारी के मुताबिक गांव से थोड़ी दूरी पर ही एनडीआरएफ की चार टीमें तैनात थीं। हालांकि परिवार के लोगों का कहना है कि वे शाम को 6.30 बजे से रात 8 बजे तक प्रशासन से गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें नाव नहीं उपलब्ध करवाई गई। बच्ची की मौत के बाद नाव पहुंची और बताया गया कि रौशनी की कमी की वजह से मदद नहीं की जा सकी।

टापू में तब्दील हो गए गांव
बिहार के कई गांव टापू में दब्दील हो गए हैं। मधुबनी में भी लोगों का जीना मुहाल हो गया है। लोगों के घर और खेत-खलिहान डूब गए हैं। आने-जाने के लिए केवल नाव का ही सहारा है। गंडक नदी में उफान के चलते गोपालगंज में गांव डूब गए हैं। गांव की झोपड़ियां पानी में बह गईं और पक्के मकान टूट गए। लोग गांव छोड़कर ऊंची जगहों पर चले गए हैं। त्रिपाल तानकर गुजारा कर रहे हैं।

कोरोना टीकाकरण पर भी बाढ़ का असर पड़ा है। वहीं अब नाव से भी टीकाकरण की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम नाव के जरिए गांव तक पहुंच रही है।

जब नाव की तरह कार को बहा ले गई पानी की तेज धार

बाढ़ में डूब गया थाना
मुजफ्फरपुर में एक थाना ही पानी में डूब गया। अब लोगों को एफआईआर लिखवाने जाने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। अहियापुर थाना पानी की चपेट में है। यहां आसपास बूढ़ी गंडक नदी की वजह से बाढ़ आ गई है। एक अधिकारी ने बताया कि यहां अभी नाव की व्यवस्था करवाई गई है लेकिन अगर स्थिति और खराब हुई तो थाने को किसी और जगह शिफ्ट करना पड़ेगा।