बिहार की जिन 121 विधानसभा सीटों पर पहले मतदान हो रहा है, उनमें से कुछ सीटों पर सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों की कड़ी नजर रहेगी। ये वे सीटें हैं जहां 2020 के चुनावों में जीत का अंतर सबसे कम था। कुल मिलाकर 52 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत का अंतर 5,000 से कम था और ये सीट दोनों पक्षों को मिलीं। लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल ने 15, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने 13 और भाजपा ने नौ सीटें 5 हजार के अंतर से जीती थीं।

लगभग 12 सीटों पर जीत का अंतर तिगुना और यहां तक कि दहाई के आंकड़ों में भी था। सबसे कम अंतर नालंदा ज़िले की हिलसा सीट पर था, जहां जनता दल यूनाइटेड ने सिर्फ़ 12 वोटों से जीत हासिल की थी। मटिहानी, बछवाड़ा, कुरहानी, बरबीघा और अनुसूचित जाति की बखरी सीट पर भी मतदान हो रहा है, जहां विजेताओं के बीच जीत का अंतर सबसे कम था।

हिलसा

2020 में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार कृष्णमुरारी शरण ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल के शक्ति सिंह यादव को मात्र 12 मतों से हराया था। उन्हें 61,848 मत मिले थे, जबकि राजद उम्मीदवार को 61,836 मत मिले थे। शक्ति सिंह यादव उस समय विधायक थे, जिन्होंने 2015 में अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी लोक जनशक्ति पार्टी की दीपिका कुमारी को 26,000 से अधिक मतों से हराया था।

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बरबीघा

नीतीश कुमार की जदयू ने शेखपुर जिले के बरबीघा में भी बहुत कम अंतर 113 मतों से जीत हासिल की। कांग्रेस से जदयू में आए मौजूदा विधायक सुदर्शन कुमार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार चंदन कुमार को हराया था। सुदर्शन कुमार इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। जदयू ने उनके खिलाफ डॉ. कुमार पुष्पंजय को मैदान में उतारा है।

मटिहानी

बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा सीट पर भी लोक जनशक्ति पार्टी के राजकुमार सिंह और जदयू के नरेंद्र कुमार सिंह के बीच काफ़ी कड़ा मुकाबला हुआ। राजकुमार सिंह ने 333 वोटों के अंतर से जीत हासिल की और बाद में जदयू में शामिल हो गए।

बछवाड़ा

बेगूसराय जिले की बछवाड़ा सीट 2020 में भाजपा के खाते में गई थी, जहां सुरेंद्र महाता ने भाकपा के अवधेश कुमार राय को 484 वोटों से हराया था। इस बार दोनों दावेदार फिर से चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस ने शिव प्रकाश गरीब दास को मैदान में उतारा है, जो 2020 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे।

कुरहानी

मुजफ़्फरनगर ज़िले की कुरहानी भी उन सीटों में शामिल थी, जहां 2020 में विजेता को 1000 से कम वोटों का अंतर मिला था। यह सीट राष्ट्रीय जनता दल के अनिल कुमार साहनी के खाते में गई थी, जो भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता से 712 वोट ज़्यादा लेकर जीत गए थे। हालांकि केदार प्रसाद गुप्ता 2022 के उपचुनाव में जीत के साथ वापस लौटे और अब नीतीश कुमार सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं।

बखरी

बेगूसराय ज़िले का बखरी विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2020 में यहां से भाकपा के सूर्यकांत पासवान ने जीत हासिल की थी, जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रामशंकर पासवान को 777 वोटों से हराया था।