बिहार चुनाव में राष्ट्रीय लोक मोर्चा भी एक अहम फैक्टर है, पिछड़ी जातियों में उसका वोटबैंक है। एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही आरएलएम कई सीटों पर अपना प्रभाव रखती है, उसके नेता उपेंद्र कुशवाहा की लोकप्रियता भी काफी है। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज में उपेंद्र कुशवाहा से खास बात की गई है, कई मुद्दों पर उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखी है। यहां पढ़ते हैं पूरा इंटरव्यू-
बिहार में आपको कैसा माहौल दिखाई देता है? किसके पक्ष में हवा
बिहार में माहौल तो एनडीए के पक्ष में ही दिखाई देता है। विपक्ष कोशिश कर रहा है कि वो एसआईआर को मुद्दा बना सत्ता में आ जाए। लेकिन लोगों पर इस मुद्दे का ज्यादा असर नहीं दिखा है। राहुल गांधी की इसे लेकर यात्रा शुरू भी जीरो से ही हुई थी और जीरो पर ही खत्म हो गई। अब सभी को साफ हो चुका है कि अगर वोटर लिस्ट से कुछ नाम हटे हैं तो उसके कारण भी हैं। लोगों को अपनी आपत्ति दर्ज करवाने का मौका भी दिया गया है, चुनाव आयोग भी उचित कार्रवाई कर रहा है। चुनाव आयोग ने तो विपक्षी नेता राहुल, तेजस्वीसे भी जरूरी दस्तावेज मांगे थे जिससे वे अपने दावों को सिद्ध कर सकें। लेकिन वो उसके लिए तैयार ही नहीं थे।
क्या गलत टाइम पर की गई SIR प्रक्रिया, लोगों को कितनी दिक्कत हो रही है?
अगर समय का आभाव था भी, फिर भी चुनाव आयोग की प्रक्रिया को ही खारिज कर देना गलत है। जो चुनाव आयोग ने किया है, वो उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। मुझे तो लगता है कि विपक्ष ने जानबूझकर लाखों ऐसी आपत्तियां गलत फॉर्मेट में दर्ज करवाई हैं जिससे चुनाव आयोग खुद उन्हें खारिज कर दे। ऐसा होने पर उनके पास अपना एजेंडा बना रहेगा, वे बोल पाएंगे कि चुनाव आयोग हमारी एक नहीं सुन रहा है। मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि जब किसी को चुनाव नहीं लड़ना होता, वे जनता को दिखाते हैं कि वे तो लड़ना चाहते थे। लेकिन वे गलत तरीके से नॉमिनेशन भरते हैं और उनकी उम्मीदवारी खारिज हो जाती है। विपक्ष सिर्फ हंगामा करना चाहता है, यही उसका उदेश्य है।
NDA में आपसी तालमेल कैसा चल रहा है, नीतीश से कैसे संबंध?
अगर मेरे कोई मतभेद थे भी तो वे कुछ साल पहले थे। लेकिन वर्तमान में पुराने मु्द्दों को साथ लेकर चलने का कोई मतलब नहीं है। दूसरे गठबंधन भी देख लीजिए, एक समय तो सोनिया गांधी ने भी लालू जी को मंत्री बनने का मौका नहीं दिया था, लेकिन अब देखिए वे साथ हैं। ऐसे में मतभेद तो हो सकते हैं, लेकिन परिवार या फिर गठबंधन में वो हमेशा के लिए नहीं बने रहते हैं।
गैर यादव वोट पर महागठबंधन की नजर, NDA की क्या रणनीति?
पहले को यह समझ लें कि जाति तो दूसरे राज्यों में भी मायने रखती है। सिर्फ बिहार से इसे जोड़ना दिखाता है कि कुछ लोग जानबूझकर या फिर बिना सोचे समझें राज्य को बदनाम कर रहे हैं। रही बात आरजेडी की तो गैर यादव वोटरों को लेकर उनकी रणनीति थोड़ी सफल तो रही है। लेकिन ऐसा नहीं है कि वे क्योंकि गैर यादव की बात कर रहे हैं, इसलिए उन्हें उनका वोट मिल रहा होगा। यादवों के साथ कुछ तो हुआ होगा, तभी ये लोग गैर यादव ओबीसी की बात कर रहे हैं। हमे नहीं भूलना चाहिए कि गैर यादव ओबीसी शांति के साथ रहना पसंद करते हैं और आरजेडी आग लगाने का काम करती है। एनडीए अपनी रणनीति पर काम कर रहा है, 100 फीसदी विपक्ष के दांव का काउंटर होगा। लोकसभा चुनाव से सीखते हुए बेहतर रणनीति के साथ उतरेंगे, विपक्ष को कोई फायदा नहीं उठाने देंगे।
चिराग पासवान को लेकर क्या बोलेंगे, ज्यादा सीटें मांग रहे हैं?
ये तो काफी स्वाभाविक है कि चिराग भी अपने पिता की लैगेसी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैंय़ वे एनडीए का हिस्सा हैं और केंद्र में मंत्री भी। बात अगर सीटों की हो तो हर पार्टी चाहती है कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलें। अब इच्छा होना अलग बात है, लेकिन जब बातचीत शुरू होती है तब वर्तमान स्थिति देखकर सभी को थोड़ा बहुत तो समझौता करना पड़ता है। मुझे नहीं लगता कि कोई दिक्कत होने वाली है, चिराग और दूसरी सभी पार्टियों को एडजस्ट कर लिया जाएगा।
SIR के तहत 65 लाख वोटर डिलीट, आखिर किस पार्टी के हैं?
ऐसे तो किसी को नहीं पता चलने वाला है। किसी का नाम तभी हटाया जा रहा है जब दो जगह उनके नाम होते हैं- बिहार और दिल्ली। पहले ऐसा कहा जा रहा था कि इस प्रक्रिया की वजह से महागठबंधन के वोटरों को टारगेट किया जाएगा। लेकिन अब जब सच्चाई सामने आ रही है तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है। सबसे ज्यादा वोट तो पटना जिले में डिलीट हुए हैं, इस क्षेत्र को एनडीए का मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां भी पूर्वांचल क्षेत्र में ज्यादा वोटर हटे हैं। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता क किसी को टारगेट किया जा रहा हो।
राहुल गांधी का वोट चोरी नैरेटिव कोई असर डालेगा या नहीं?
उनके तमाम आरोप फर्जी हैं। चुनाव आयोग ने तो दस्तावेज मांगे हैं, लेकिन वो दे नहीं पा रहे हैं। मैं तो अभी भी कह रहा हूं कि अगर कुछ लोगों को टारगेट किया गया है तो उन्हें मीडिया के सामने आना चाहिए, केस दर्ज करवाना चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है क्योंकि यह कोई मुद्दा ही नहीं है। विपक्ष सिर्फ हंगामा करना चाहता है। लेकिन मुझे यह जरूर लगता है कि इस यात्रा की वजह से लोगों के बीच में राहुल गांधी की छवि थोड़ी तो सुधरी होगी। जो मुद्दे वे उठा रहे हैं, अगर वे वास्तविक नहीं भी हैं, लेकिन फिर भी वे जमीन पर उतर मेहनत तो कर रहे हैं। लगता है कि उनकी थोड़ी पॉजिटिव इमेज तो बनी है। लेकिन क्या इससे उन्हें चुनाव में कोई फायदा होगा, बिल्कुल भी नहीं।
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