बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत मंगलवार को 20 जिलों के 122 सीटों पर होने वाले मतदान में दलित और मुस्लिम मतदाता सत्ता में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। करीब 100 सीटों पर इनका प्रभाव है। यही कारण है कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के साथ राजग ने दलित और मुस्लिम मतदाता को चुनाव प्रचार के केंद्र बिंदु में रखा। हालांकि पिछले चुनाव में स्थिति कुछ उलट रही।
दक्षिण बिहार के सात जिलों में राजग खाता भी खोल नहीं पाया था, जबकि उत्तर बिहार के दो जिलों में महागठबंधन का हाथ खाली रहा। वहीं गया जिले में महागठबंधन और राजग को बराबर-बराबर सीटें मिलीं। इसके अलावा सात सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवार से जीत हासिल की थी।
बिहार के इन सीटों पर दलित आबादी करीब 18 फीसदी
चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार बिहार के इन सीटों पर दलित आबादी करीब 18 फीसद है, इनमें से 13 फीसद महादलित और करीब 5 फीसद पासवान समुदाय के लोग शामिल हैं। इनकी संख्या कई विधानसभा में 30 से 40 हजार के बीच बताई जाती है। वहीं करीब आठ सीटें ऐसी हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता करीब 60 फीसद है। करीब 24 सीट पर मुस्लिम मतदाता 20 फीसद से अधिक और अन्य सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता की अच्छी संख्या है। यहीं कारण है कि राजग के साथ महागठबंधन इन सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है। महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री के लिए दलित चेहरा उतारा। साथ ही मुस्लिम को लुभाने के लिए कई घोषणाएं कीं। तेजस्वी यादव ने युवा, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय पर विशेष ध्यान दिया।
वहीं कांग्रेस सीमांचल में अपनी पुरानी पकड़ वापस पाने की कोशिश में लगी रही। राजग के तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुस्लिम मतदाता को लुभाते दिखे। वहीं उनके अलावा भाजपा, लोजपा सहित दूसरे छोटे दोनों दलों ने दलित आबादी को लुभाने का प्रयास जारी रखा। भाजपा का प्रयास रहा कि वह पासवान, मुसहर समुदाय को फिर से अपने पाले में लाए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने रैलियां कर दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया।
2020 में ऐसा रहा था परिणाम
इन सीटों पर एआइएमआइएम और जन सुराज पार्टी ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। एआइएमआइएम और जनसुराज के उभार से मुस्लिम वोटों का बिखराव महागठबंधन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले चुनाव में एआइएमआइएम ने सीमांचल की पांच सीटों पर जीती थी। बता दें कि वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में इस चरण के 122 सीटों में से राजग को 66, महागठबंधन को 49 और अन्य दलों को सात सीटें मिली थीं।
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वर्ष 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में राजग औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, कैमूर, किशनगंज और शिवहर में खाता भी खोल नहीं पाया था। वहीं महागठबंधन को जमुई और सुपौल में एक भी सीट नहीं मिली। गया जिले में दोनों दल बराबर सीटों पर जीते। जमुई, कैमूर, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जिले में अन्य दल के उम्मीदवार खाता खोलने में कामयाब रहे। मजबूत स्थिति की बात करें तो महागठबंधन ने दक्षिण बिहार में जबकि राजग ने उत्तर बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था। मंगलवार को कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, गया, नवादा, जमुई, बांका, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज, अररिया, सुपौल, मधुबनी, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण और पूर्णिया में मतदान होना है।
