बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और एक बार फिर जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेतृत्व वाली एनडीए अपनी सरकार बनाने में कामियाब रही। भाजपा करीब दो दशक के बाद एनडीए में जदयू को पीछे छोड़ वरिष्ठ सहयोगी बनी है। इस चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। कई सीटों में जीत और हार का अंतर बेहद कम रहा। इन सीटों में एक सीट हिलसा की है जहां 12 वोटों ने हार जीत का अंतर तय किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की हिलसा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा। यह सीट महज 12 वोटों के अंतर से जेडीयू के खाते में चली गई। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, जेडीयू उम्मीदवार कृष्ण मुरारी शरण को 61,848 वोट मिले हैं जबकि निकटतम प्रतिद्वंद्वी आरजेडी उम्मीदवार अत्री मुनि यादव को 61,836 वोट मिले हैं। इस सीट पर मात्र 12 वोटों ने हार जीत का अंतर तय किया।
हालांकि परिणाम आने के बाद इसे लेकर विवाद हो गया और आरजेडी ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि हिलसा विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी शक्ति सिंह को निर्वाचन अधिकारी ने 547 वोट से विजयी घोषित कर दिया था। सर्टिफ़िकेट लेने के लिए इंतज़ार करने को कहा गया। जिसके बाद सीएम आवास से रिटर्निंग अधिकारी को फ़ोन आया और फिर अचानक अधिकारी कहते हैं डाक मत रद्द होने के कारण आप 13 वोट से हार गए।
हिलसा के अलावा बरबीघा में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस के गजानन शाही को महज 113 वोटों से हराया। वहीं भोरे सीट में जीत का अंतर केवल 462 था। इस सीट से जेडीयू के सुनील कुमार ने बाजी मारी। उन्होने भाकपा (माले) के जितेन्द्र पासवान को हराया।
डेहरी विधानसभा सीट पर आरजेडी उम्मीदवार फतेहबहादुर ने भाजपा के सत्यनारायण सिंह को मात्र 464 मतों से हराया। इसके अलावा बखरी, रामगढ़, चकाई, मटिहानी और कुरहनी विधानसभा सीटों में भी जीत-हार का अंतर बेहद कम रहा और दोनों पक्षों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।
बता दें 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें (भाजपा को 74, जदयू को 43, वीआईपी को 04 और हम को 4) सीट मिली हैं। वहीं महागठबंधन 110 सीटों (आरजेडी 75, कांग्रेस 19 वामदलों को 16) पर जीत मिली है। दूसरी ओर, लोजपा ने 1 और ओवेसी की एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतीं है। इस चुनाव में आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है।