बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के बीच लड़ाई तो चल ही रही थी, अब बिहार कांग्रेस के नेताओं की भी नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के कुछ नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश इकाई पर बेहद गंभीर आरोप लगा चुके हैं।
बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देने वाले आनंद माधव ने कहा, “जिस तरह से टिकट बांटे गए हैं, उससे पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है।” उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा हो सकता है कि पार्टी दहाई (10 सीटों) के अंक तक भी ना पहुंच पाए।
माधव के निशाने पर बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम रहे। अल्लावरू को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।
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माधव ने आरोप लगाया कि कृष्णा अल्लावरू, राजेश राम और कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने टिकट बांटे जाने के बदले में पैसे लिए हैं।
कांग्रेस के एक अन्य नेता छत्रपति यादव ने कहा कि वह खगड़िया से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन यहां से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव चंदन यादव को पार्टी ने टिकट दे दिया है। चंदन पिछले विधानसभा चुनाव में बेलदौर की सीट से हार गए थे।
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ऋषि मिश्रा को टिकट देने पर विवाद
दरभंगा जिले की जाले सीट पर भी काफी विवाद है। यहां आरजेडी से कांग्रेस में आए ऋषि मिश्रा को टिकट दिया गया है जबकि वह सिर्फ एक दिन पहले ही कांग्रेस में आए थे। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा है कि आरजेडी ने कांग्रेस पर दबाव बनाया कि जाले सीट से नौशाद आलम को टिकट न दें क्योंकि नौशाद ने ही वह रैली आयोजित की थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।
कांग्रेस नेता ने कहा, “2020 में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े मस्कूर उस्मानी को टिकट नहीं दिया और आरजेडी के नेता को टिकट दे दिया गया।” उस्मानी इस बार भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
कारपोरेट की तरह चला रहे बिहार कांग्रेस को
कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने आरोप लगाया कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि कृष्णा अल्लावरू प्रदेश कांग्रेस की बिहार इकाई को कॉरपोरेट की तरह चला रहे हैं।
इसके अलावा, बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कांग्रेस और आरजेडी ने एकजुटता का संदेश दिया था लेकिन जैसे ही सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू हुई एकजुटता के ये सारे दावे धरे के धरे रह गए। अब जब बिहार में नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है और पहले चरण की नाम वापसी की समय सीमा भी खत्म हो चुकी है तो महागठबंधन की रणनीति को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। महागठबंधन में कम से कम 9 सीटों पर “फ्रेंडली फाइट” की स्थिति है।
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